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Indore: मेट्रो के अंडरग्राउंड स्‍टेशन के लिए रानी सराय गार्डन में हो रही पेड़ों की कटाई, जनहित पार्टी के कार्यकर्ताओं ने शुरू किया ‘चिपको आंदोलन’

Trees are being cut down in Indore for the underground metro project

इंदौर में अंडरग्राउंड मेट्रो के लिए हो रही पेड़ो की कटाई

Indore News: इंदौर शहर में एक ओर तो एक पेड़ मां के नाम अभियान चलाकर 51 लाख पेड़ लगाए गए. लेकिन दूसरी ओर वर्षों पुराने पेड़ों को विकास के नाम पर काटा जा रहा है. अब इन पेड़ों को बचाने के लिए शहरवासी आगे आने लगे हैं. इंदौर के रीगल चौराहा स्थित तीन डीसीपी ऑफिस की बिल्डिंग यानी ऐतिहासिक इमारत रानी सराय परिसर में अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन बनाया जाना है, इसके लिए प्राथमिक तौर पर काम शुरू हो गया है.

जनहित पार्टी के कार्यकर्ताओं ने शुरू किया चिपको आंदोलन

27 मीटर जमीन के अंदर बनाए जाने वाले मेट्रो स्टेशन के लिए परिसर में लगे वर्षों पुराने सैकड़ों पेड़ काटे जाने हैं. शहर के मध्य इतने पेड़ों की कटाई रोकने के लिए जनहित पार्टी के कार्यकर्ताओं ने चिपको आंदोलन किया है. बड़ी संख्या में यहां पहुंचे कार्यकर्ताओं ने पेड़ों को गले लगाकर उन्हें नहीं काटने की अपील की है. जनहित पार्टी के कार्यकर्ताओं ने चिपको आंदोलन की तरह पेड़ से चिपककर प्रदर्शन किया. बड़ी बात यह है कि रानी सराय के इस गार्डन के पेड़ों पर हजारों तोते रहते हैं, पेड़ कटने से इनका घर भी उजड़ जाएगा.

रीगल चौराहे पर लगे पेड़ लाखों पक्षियों का है आश्रय

शहर के व्यस्ततम रीगल चौराहे पर स्थित रानी सराय का ऐतिहासिक बगीचा, जो वर्षों से शहर की हरियाली और लाखों पक्षियों का सुरक्षित आश्रय रहा है, अब खतरे में है. अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशन निर्माण के लिए यहां मौजूद सैकड़ों वर्षों पुराने पेड़ों को काटा जाएगा. शाम ढलते ही इन पेड़ों पर लौटकर विश्राम करने वाले पक्षियों का कलरव, जो कभी इस क्षेत्र की पहचान था, अब मशीनों की आवाज़ में दबने वाला है. यह सिर्फ पेड़ों की कटाई नहीं, बल्कि इंदौर की प्राकृतिक धरोहर को खत्म करने जैसा है.

परियोजना ने पर्यावरण प्रेमियों और स्‍थानीय लोगों में पैदा की चिंता

परियोजना स्थल पर हो रही गतिविधियों ने पर्यावरण प्रेमियों और स्थानीय लोगों में गहरी चिंता पैदा कर दी है. विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि इतनी बड़ी संख्या में पेड़ कटने से तापमान बढ़ने, वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि की आशंका है. इस मामले में जनहित पार्टी का आरोप है कि विकास के नाम पर वैकल्पिक योजनाओं पर विचार नहीं किया गया, जबकि डिजाइन में बदलाव कर पेड़ों को बचाया जा सकता था. वे मांग कर रहे हैं कि कटे पेड़ों के बदले कई गुना पौधारोपण और पक्षियों के लिए वैकल्पिक आवास सुनिश्चित हों. जनहित पार्टी के कार्यकर्ताओं ने चिपको आंदोलन की तर्ज पर पेड़ों से चिपककर प्रदर्शन किया और पेड़ों के काटने पर इसी तरह प्रदर्शन करने की चेतावनी भी दी है.

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