Baba Mahakal: शनिवार को बाबा महाकाल का पंच मुखारविंद रूप देखने को मिला. शिवनवरात्रि और महाशिवरात्रि का उत्सव समाप्त होने के बाद बाबा महाकाल का विशेष शृंगार किया गया. साल में एक बार बाबा अपने भक्तों को अपने इस स्वरूप का दर्शन देते हैं.
ये हैं पंच मुखारविंद स्वरूप
पंच मुखारविंद का शाब्दिक अर्थ लिया जाए तो पांच मुख वाला स्वरूप. साल में एक बार फाल्गुन शुक्लपक्ष के चंद्रदर्शन पर भगवान श्री महाकालेश्वर जी के पंच मुखरविंद में एक साथ श्री छबिना, श्री उमामहेश, श्री होल्कर, श्री मनमहेश, श्री शिवतांडव स्वरूप में अपने भक्तों को दर्शन दिए. इसके साथ ही शिवनवरात्रि उत्सव का समापन हुआ.
क्या है मान्यता?
बाबा महाकाल के इस रूप के पीछे मान्यता है कि जिन भक्तों को शिवनवरात्रि के दौरान दर्शन नहीं हो पाते हैं. उन्हें बाबा पंच मुखारविंद स्वरूप में दर्शन देते हैं. इस साल यह विशेष शृंगार एक मार्च को किया गया. बड़ी संख्या में भक्तों ने बाबा के इस स्वरूप के दर्शन का लाभ उठाया.
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बाबा के दरबार में धूमधाम से मनाया गया महाशिवरात्रि का पर्व
26 फरवरी को बाबा के दरबार में महाशिवरात्रि का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया. बाबा को 20 क्विंटल फूलों से सजाया गया था. लगातार 44 घंटे तक बाबा ने भक्तों को दर्शन दिए. इसके साथ ही साल में एक बार होने वाली भस्म आरती की गई. वहीं महाशिवरात्रि के दूसरे दिन सप्तधान्य भोग लगाया गया.
