Ujjain News: महाकालेश्वर मंदिर की 45 बीघा जमीन को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. उज्जैन विकास प्राधिकरण (UDA) द्वारा इस जमीन को कॉलोनी के लिए अधिग्रहित करने का मामला सामने आया है. हैरानी की बात यह है कि मंदिर प्रबंध समिति को इसकी भनक तक नहीं लगी. अब इस मामले में कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा है.
क्या है पूरा मामला?
महाकाल मंदिर के नाम पर ग्राम निमनवासा में दान की गई 45 बीघा जमीन को UDA ने TDSS-4 स्कीम में शामिल कर लिया. यह अधिग्रहण महाकालेश्वर मंदिर अधिनियम की धारा-12 की उपधारा-2 का उल्लंघन है. जिसके तहत मंदिर की अचल संपत्ति को आयुक्त की पूर्व अनुमति के बिना बेचा, गिरवी रखा या हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है.
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मंदिर प्रबंध समिति को जानकारी नहीं
इस पूरी प्रक्रिया को इस तरह अंजाम दिया गया कि मंदिर प्रबंधन समिति को इसकी भनक तक नहीं लगी. जब यह मामला सामने आया तो मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष आशीष सिंह (तत्कालीन कलेक्टर), गणेश धाकड़ (तत्कालीन प्रशासक), और सदस्य राजेंद्र शर्मा, राम पुजारी व प्रदीप गुरु ने स्पष्ट किया कि उन्हें इस प्रक्रिया की कोई जानकारी नहीं थी.
कैसे हुआ अधिग्रहण?
9 सितंबर 2022 को यूडीए ने नगर एवं ग्राम निवेश अधिनियम की धारा-50(2) के तहत टीडीएसएस-4 की सूचना प्रकाशित की थी. जिसमें महाकाल मंदिर की 45 बीघा जमीन भी शामिल थी. तत्कालीन कार्यकारी CEO आशीष पाठक और उज्जैन संभाग के आयुक्त संदीप यादव (यूडीए अध्यक्ष) इस प्रक्रिया के दौरान पदस्थ थे. हालांकि, इनका कहना है कि UDA ने सभी नियमों का पालन किया, लेकिन मंदिर प्रबंधन की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं.
ऐसे मिली मंजूरी
6 दिसंबर 2023 को महाकाल मंदिर के नाम से UDA का अनुमोदन पत्र भेजा गया. जिस पर UDA CEO और मंदिर प्रशासक दोनों के रूप में संदीप कुमार सोनी के हस्ताक्षर हैं. यानी उन्होंने खुद को ही मंजूरी दे दी.
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‘महाकाल मंदिर की जमीन का अधिग्रहण नहीं हुआ’
कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने कहा है कि मामले में किसी भी तरह से महाकाल मंदिर की जमीन का अधिग्रहण नहीं किया गया है. वैसे भी धर्मस्व विभाग का एक सर्कुलर है, जिसमें यह स्पष्ट निर्देश है कि मंदिर की जमीन का अधिग्रहण केवल शासकीय प्रक्रिया के माध्यम से ही संभव है.
कांग्रेस ने साधा सरकार पर निशाना
महाकाल मंदिर जमीन विवाद पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि महाकाल मंदिर की जमीन पर कॉलोनी काटना, मतलब जमीन बेचना है.
उन्होंने आगे कहा इससे पहले किसी भी मुख्यमंत्री के शहर में ऐसा तांडव नहीं देखा गया. चाहे वह कांग्रेस का हो या भारतीय जनता पार्टी का. महाकाल की जमीन बिक रही है, इसका मतलब है कि भ्रष्टाचार अपने चरम पर है. कांग्रेस इस मामले में सजग है और अपना धर्म निभाएगी.
