Jyotiraditya Scindia: केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का जन्म 1 जनवरी 1971 को हुआ था. मध्य प्रदेश के ग्वालियर राजघराने के सदस्य सिंधिया MP की सियासत में ‘महाराज’ के नाम से जाने जाते हैं. आज वह अपना 54वां जन्मदिन मना रहे हैं. अपने फैसलों, अलग अंदाज और ठाठ-बाट को लेकर चर्चाओं में रहने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को सियासत विरासत में मिली थी. आज से 5 साल पहले 2020 में उन्होंने एक ऐसा फैसला लिया था, जिससे प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई थी. साथ ही प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया था. आज उनके बर्थडे पर जानिए इस फैसले के बारे में-
ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीति में एंट्री
ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीति में एंट्री साल 2002 में हुई थी. अपने पिता माधवराव सिंधिया के निधन के बाद ज्योतिरादित्य राजनीति में उतरे. उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन की और ग्वालियर की सत्ता संभाली. वह साल 2002 में पहली बार सांसद चुने गए. पूर्व PM मनमोहन सिंह के कार्यकाल में 2007 से 2014 तक सिंधिया केंद्र सरकार में मंत्री रहे. 2007 में वह पहली बार पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की केंद्रीय राज्यमंत्री बने, जबकि 2012 से मई 2014 तक वह मनमोहन सिंह कैबिनेट में स्वतंत्र प्रभार मंत्री थे.
2020 में लिया अहम फैसला
साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक अहम फैसला लिया, जिससे मध्य प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई. 15 साल बाद प्रदेश की सत्ता में वापसी करने वाली कांग्रेस पार्टी की सरकार तक गिर गई. 2018 विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी. इस दौरान कमलनाथ के हाथों में प्रदेश जिम्मेदारी सौंपी गई. यानी वह मुख्यमंत्री बने. मार्च 2020 में सिंधिया ने कांग्रेस का दामन छोड़कर BJP ज्वाइन कर ली. उनके साथ 22 कांग्रेस विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया. कुछ दिनों तक प्रदेश में मचे सियासी भूचाल के बाद 22 विधायकों में से 16 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए गए. 17 दिन तक चले सियासी संग्राम के बाद कमलनाथ के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार 15 महीने में ही गिर गई.
मोदी कैबिनेट में हुए शामिल
BJP में शामिल होने के बाद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई. साल 2021 में उन्हें मोदी सरकार में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री बनाया गया. इसके बाद 2024 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद वह वर्तमान में सूचना एवं प्रसारण मंत्री हैं. साथ ही उन्हें उत्तर पूर्वी राज्यों के मंत्रालय की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है.