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इंदौर में बीजेपी की नई कार्यकारिणी पर बवाल, खाती समाज ने किया जोरदार प्रदर्शन, नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा का फूंका पुतला

Uproar over BJP's new executive committee in Indore

इंदौर में बीजेपी की नई कार्यकारिणी पर बवाल

Indore News: इंदौर में भारतीय जनता पार्टी की नई नगर कार्यकारिणी घोषित होते ही विवाद खड़ा हो गया. नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा द्वारा जारी पदाधिकारियों की सूची के तुरंत बाद खाती समाज के लोगों ने पार्टी कार्यालय के बाहर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने कार्यालय पर नारेबाजी करते हुए सुमित मिश्रा मुर्दाबाद के नारे लगाए, उनके बैनर और पोस्टर फाड़े तथा नामपट्टिका पर कालिख पोत दी. गुस्साए कार्यकर्ताओं ने सुमित मिश्रा का पुतला भी जलाया. बताया जा रहा है कि करीब 20 से 25 कार्यकर्ता बीजेपी की सदस्यता से इस्तीफा देने पहुंचे थे. उनका आरोप है कि कार्यकारिणी में खाती समाज के किसी भी व्यक्ति को स्थान नहीं दिया गया है.

अध्‍यक्ष बनने के नौ महीने बाद हुई कार्यकारिणी की घोषणा

अध्‍यक्ष बनने के करीब नौ महीने बाद सुमित मिश्रा ने नगर कार्यकारिणी की घोषणा की, जिसमें आठ उपाध्यक्ष, तीन महामंत्री और आठ मंत्री सहित कुल 33 पदाधिकारी शामिल हैं. इस सूची में सबसे अधिक चर्चा स्वाति कासिद के नाम को लेकर है, जिन्हें नगर मंत्री बनाया गया है. स्वाति, युवराज काशिद उर्फ युवराज उस्ताद की पत्नी हैं, जिन पर अवैध वसूली समेत कई आपराधिक आरोप हैं. नगर निगम चुनाव के दौरान पार्टी ने स्वाति को वार्ड 56 से पार्षद प्रत्याशी बनाया था, लेकिन युवराज की आपराधिक पृष्ठभूमि सामने आने पर भाजपा ने मात्र 16 घंटे में उनका टिकट वापस ले लिया था.

खाती समाज के राष्टीय उपाध्‍यक्ष ने लगाया भाजपा पर अनदेखी का आरोप

खाती समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पवन चौधरी ने आरोप लगाया कि भाजपा लगातार उनके समाज की अनदेखी कर रही है और उनके नेता जीतू जिराती को जानबूझकर दरकिनार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि समाज के 80 प्रतिशत लोग हमेशा भाजपा को वोट देते आए हैं, लेकिन अब उन्हें सम्मान नहीं मिल रहा है.

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जीरो टॉलरेंस नीति पर उठे सवाल

उधर, इस पूरे विवाद के बीच पार्टी की “जीरो टॉलरेंस” नीति भी चर्चा में है. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने पहले ही स्पष्ट किया था कि भाजपा किसी भी आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति या उनके परिजनों को पद या टिकट नहीं देती. इसके बावजूद स्वाति कासिद की नियुक्ति को लेकर संगठन के भीतर असंतोष बढ़ता दिख रहा है.

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