Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश सरकार ने ढाई साल पहले 13 मई 2022 को मुख्य तकनीकी परीक्षक (सतर्कता) संगठन (सीटीई) को बंद करके कार्य गुणवत्ता परिषद का पड़ताल गठन किया था. लेकिन यह परिषद अब तक पूरी तरह से अस्तित्व में नहीं आ पाई है. इस कारण प्रदेश में दो लाख करोड़ की परियोजनाएं और निर्माण कार्यों की गुणवत्ता परखने का काम ठप है. यहां एक साल से महानिदेशक नहीं है. साथ ही दफ्तरी और भृत्य भी नहीं है.
फाइलों में जम रही धूल
कार्यालय की साफ-सफाई नहीं होने से फाइलों में धूल जमने लगी है. प्यून की डिमांड की गई, लेकिन स्वीकृति नहीं मिली. वहां जो बचे कर्मचारी हैं वे कहते हैं कि दीवारें काटने को दौड़ रही हैं. परिषद को जिस उद्देश्य से बनाया गया था, उसकी शुरुआत होने से पहले ही बंद होने की खबरें आने लगी हैं.
कामकाज बंद
सरकार ने रिटायर्ड अशोक शाह को जिम्मेदारी दी थी लेकिन उनका कार्यकाल भी पूरा हो चुका है. गवर्निंग बॉडी में मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव शामिल हैं, लेकिन महानिदेशक का पद खाली होने की वजह से बैठक नहीं हो पाई है. विभागीय कामकाज भी बंद पड़ा हुआ है.
कौन करेगा जांच क्योंकि अकेले पीडब्ल्यूडी में एक लाख करोड़ के काम
निर्माण कार्यों की बानगी देखें तो अकेले लोक निर्माण विभाग में करीब एक लाख करोड़ के निर्माण चल रहे हैं. जल संसाधन, पीएचई, नगरीय विकास में भी लाखों करोड़ों काम प्रगतिरत हैं. सीटीई को बंद करने के बाद निर्माण कार्यों से जुड़ी सभी शिकायतें और जांचे रिपोर्ट आदि संबंधित विभागों को वापस कर दी गईं. कहा गया है कि विभाग अपने स्तर पर गुणवत्ता जांचें.
मुख्य सचिव तक पहुंची जानकारी, फिर रिव्यू के लिए बुलाई
मध्य प्रदेश में गुणवत्ता कार्य परिषद के कामकाज को लेकर पिछले दिनों मुख्य सचिव ने रिव्यू किया था. इस दौरान उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग को निर्देश दिए थे कि जो भी परिषद से जुड़ी हुई कमियां हैं, उनको पूरा किया जाए. मुख्य सचिव के निर्देश के बाद परिषद में लंबित फाइलों को फिर से जांच में शामिल करने के लिए बुलाया गया है.
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