MP News: मध्य प्रदेश के सीहोर में स्थित वीआईटी यूनिवर्सिटी के करीब 17 हजार छात्र-छात्राओं को घटिया खाना परोसा जा रहा था. ये खुलासा जांच रिपोर्ट से हुआ है. इसी घटिया खाने की वजह से छात्र-छात्राएं बार-बार बीमार हो रहे थे. कई छात्रों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था. खाद्य एवं औषधि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि वीआईटी के 32 सैंपल लिए गए थे. जिनमें से 18 सैंपल लीगल कैटेगरी और 14 सैंपल सर्विलांस के तहत लिए गए थे.
पांच में से 4 कैटर्स के सैंपल फेल
फूड डिपार्टमेंट के अधिकारी वीआईटी यूनिवर्सिटी कैंपस पहुंचे थे जहां उन्होंने 5 कैटर्स से फूड सैंपल लिए. इसमें से चार कैटर्स के सैंपल फेल हो गए. उच्च अधिकारियों के मुताबिक फूड सैंपल अनसेफ पाए गए हैं. सैंपल के आधार पर लाइसेंस निरस्त किया जा सकता है. दोषियों पर 10 लाख रुपये का जुर्माना और 3 साल की जेल हो सकती है. सब स्टैंडर्ड मामले ADM कोर्ट में पेश किए जाएंगे. जिन कैटर्स के सैंपल फेल हुए उनमें जेएमबी कैटर्स, रेसेंस प्राइवेट लिमिटेड, एबी कैटरिंग और सफल सिनर्जी शामिल है.
सैंपल में कीटनाशक पाया गया
खाद्य एवं औषधि विभाग सैंपल में राजमा, उड़द दाल, आटा, मैदा, तुअर दाल और चावल के सैंपल अनसेफ और फेल पाए गए. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार प्रयोगशाला जांच रिपोर्ट में कीटनाशक और इंसेक्टिसाइट के अंश पाए गए हैं. 12 सैंपल अनसेफ पाए गए, जो छात्रों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, VIT यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राएं कई महीनों से दूषित पानी और खाने को लेकर विश्वविद्यालय प्रबंधन को शिकायत कर रहे थे. प्रबंधन ने इन शिकायतों की अनदेखी की. छात्रों का आरोप है कि इसी वजह से एक छात्रा की मौत हो गई और 30 से ज्यादा छात्र पीलिया से पीड़ित हुए. जब छात्रों ने प्रदर्शन किया तो हॉस्टल वॉर्डन प्रशांत पांडेय ने गार्डों के साथ मिलकर स्टूडेंट्स की पिटाई की.
भारी बवाल के बाद पहले यूनिवर्सिटी में 30 नवंबर तक अवकाश घोषित किया गया, जिसे बढ़ाकर अब 8 दिसंबर कर दिया गया था. मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री कृष्णा गौर ने विश्वविद्यालय का दौरा किया था और वहां मौजूद छात्रों से बात की थी. उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों को जांच करने के निर्देश दिए थे.
