दुनिया के इस हिस्से में नहीं चलता किसी का कानून, कोई भी झंडा गाड़कर बोल देता है मेरा देश
अभय वर्मा
बीर ताविल लगभग 2060 वर्ग किलोमीटर में फैला एक रेगिस्तानी क्षेत्र है. यह इलाका न तो किसी देश का हिस्सा है और न ही यहां कोई प्रशासनिक ढांचा मौजूद है. कोई शहर, स्थायी आबादी या सरकारी व्यवस्था न होने के कारण इसे दुनिया का अनक्लेम्ड लैंड कहा जाता है.बीर ताविल, मिस्र और सूडान की सीमा के बीच स्थित है. आमतौर पर सीमावर्ती इलाकों पर दो देशों के दावे होते हैं, लेकिन यहां उलटा मामला है. दोनों देश इस क्षेत्र पर दावा करने से बचते हैं, जिससे यह ज़मीन राजनीतिक रूप से अनाथ बन गई है.1899 में ब्रिटिश शासन ने मिस्र–सूडान के बीच एक सीधी राजनीतिक सीमा तय की. इस रेखा के अनुसार बीर ताविल सूडान के हिस्से में चला गया. आज भी मिस्र आधिकारिक रूप से इसी 1899 की सीमा को मान्यता देता है.1902 में ब्रिटिश प्रशासन ने सुविधा के लिए एक नई प्रशासनिक सीमा बनाई. इस संशोधित सीमा में बीर ताविल को मिस्र के अंतर्गत रख दिया गया.सूडान आज इसी 1902 की सीमा को सही मानता है, जिससे विवाद और गहरा गया.मिस्र और सूडान दोनों ही पास के हलायिब ट्रायंगल पर दावा करते हैं. यह इलाका संसाधनों से भरपूर और रणनीतिक रूप से बेहद अहम है. अगर कोई देश बीर ताविल पर दावा करता है, तो हलायिब ट्रायंगल पर उसका कानूनी दावा कमजोर पड़ जाता है.2014 में अमेरिकी नागरिक जेरेमिया हीटन ने यहां झंडा गाड़ दिया. उन्होंने “किंगडम ऑफ नॉर्थ सूडान” की घोषणा अपनी बेटी को राजकुमारी बनाने के लिए की. इस कदम ने बीर ताविल को वैश्विक सुर्खियों में ला दिया.2017 में भारतीय खोजकर्ता सुयश दीक्षित भी बीर ताविल पहुंचे. उन्होंने भी झंडा फहराकर खुद को उस क्षेत्र का शासक घोषित किया. हालांकि इन सभी दावों को किसी सरकार या संयुक्त राष्ट्र ने मान्यता नहीं दी.अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार सिर्फ झंडा गाड़ना काफी नहीं होता. एक देश के लिए स्थायी आबादी, निश्चित सीमाएं, प्रभावी सरकार और वैश्विक मान्यता ज़रूरी है. इन्हीं शर्तों के अभाव में बीर ताविल आज भी दुनिया की सबसे अनोखी “नो कंट्री लैंड” बना हुआ है.