एकदंताय वक्रतुण्डाय… इस गणेश चतुर्थी करें मध्य प्रदेश के चमत्कारी गणपति मंदिरों के दर्शन
रुचि तिवारी
MP के गणेश मंदिर
जानिए मध्य प्रदेश के उन 7 चत्मकारी गणेश मंदिरों के बारे में, जहां सिर्फ दर्शन करने मात्र से हर मनोकामना पूरी हो जाती है. श्री चिंतामण गणेश मंदिर, उज्जैन- रेलवे स्टेशन से मात्र 8 KM की दूरी पर स्थित इस मंदिर में गणेश भगवान के तीन रूप हैं- चिंतामण गणेश, इच्छामण गणेश और सिद्धिविनायक.बड़ा गणपति मंदिर- इंदौर का बड़ा गणपति मंदिर 100 साल से भी ज्यादा पुराना है, जिसकी स्थापना दाधीच परिवार द्वारा की गई थी. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि मंदिर के मुख्य पुजारी को सपना आया था कि चौराहे पर सबसे बड़ी मूर्ति की स्थापना कि जाए. इस प्रतिमा कि ऊंचाई लगभग 51 फीट के आसपास है. गणेश भगवान की विश्व कि सबसे बड़ी प्रतिमा भी यहीं स्थित है. भगवान की मूर्ति को शृंगार करने में 8 दिन का समय लग जाता है. पोहरी गणेश मंदिर- यह गणेश मंदिर शिवपुरी जिले के पोहरी तहसील के एक किले में स्थित है. इस मंदिर का निर्माण 1737 में सिंधिया राज्य कि जागीरदार बालाबाई सीतोले ने कराया था. वो खुद ही पुणे से मूर्ति लेकर यहां आई थी. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जो कुंवार लड़की यहां जाकर गणेश भगवान से मन्नत से मांगती है उसे मनचाहे वर की प्राप्ति होती है. कल्कि गणेश मंदिर, जबलपुर- यह इकलौता ऐसा गणेश मंदिर है, जहां गणेश भगवान कल्कि अवतार में पूजे जाते हैं. करीब 50 फीट की ऊंचाई पर भगवान गणेश की प्रतिमा शिला स्वरूप में है.बेहटा गणेश मंदिर- ग्वालियर जिले के बेहटा में स्थित गणेश भगवान का यह मंदिर अर्जी वाले गणेश मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. वहां के लोगों कहना है कि तानसेन ने अपनी संगीत कि साधना इसी मंदिर पर बैठकर की थी. सिद्धेश्वर गणेश मंदिर- छिंदवाड़ा जिले के अड़वार नदी पर स्थित इस मंदिर की प्रतिमा 250 साल से ज्यादा पुरानी बताई जाती है. यहां विराजमान गणेश भगवान कि मूर्ति के पास गदा भी है. स्थानीय लोगों का का कहना है कि इस मंदिर के दर्शन करने से सारी मन्नतें पूरी हो जाती हैं. खजराना गणेश मंदिर, इंदौर- रेलवे स्टेशन से मात्र 6 KM की दूरी पर स्थित है. इस मंदिर की स्थापना 1735 में महान मराठा शासक रानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा करवाई गई थी. मंदिर के गर्भ गृह की बाहरी दीवार और गर्भगृह की छत चांदी से बनी हुई है. वहीं, गणेश भगवान की आंखें हीरे की हैं जो वहां के व्यापारी द्वारा दान की गई थी.