भारत के इस प्रदेश के नाम में नहीं है कोई भी मात्रा, 450 सालों से जल रहा अनोखा दीपक
Vistaar News Desk
असम
भारत का टी स्टेट कहे जाने वाले ‘असम’ अपनी अनोखी विशेषताओं के लिए जाना जाता है. ये राज्य हरे भरे वन्य जीवन और विशाल चाय बागानों के लिए प्रसिद्ध है.खास बात ये है कि इस राज्य के नाम में कोई भी मात्रा नहीं आती है. यानी जब आप इसको बोलते या लिखते है, तो इसमें सिर्फ अक्षरों के प्रयोग किया गया है.असम का सबसे बड़ा शहर गुवाहाटी है. गुवाहाटी को रेशम बाजार और पहाड़ी के चोटी पर स्थित कामाख्या मंदिर के लिए जाना जाता है. वहीं यहां का उमानंद मंदिर भी मशहूर है.असम अपनी अनोखी लाल नदियों और नीली पहाड़ियों के लिए भी जाना जाता है. ब्रह्मपुत्र नदी की लाल मिट्टी और नीली पहाड़ियां इस राज्य को और भी खूबसूरत बना देता है.उमानंद मंदिर ब्रह्मपुत्र नदी के मयूर द्वीप पर स्थित है. वहीं हाजो जैसे प्राचीन तीर्थ स्थल और मदन कामदेव मंदिर के खंडहर यहां के आकर्षण में चार चांद लगा देते हैं.असम को पूरे देश में चाय की राजधानी भी कहा जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि असम में दुनिया की सबसे बेहतरीन चाय का उत्पादन होता है. यहां की चाय विदेशों में भी निर्यात होती है.इस राज्य में कुल 35 जिले हैं. क्षेत्रफल की दृष्टि से कार्बी आंगलोंग इस राज्य का सबसे बड़ा जिला है. इस कुल क्षेत्रफल 10,434 वर्ग किलोमीटर है. असम के जोरहाट पर वैष्णव मठ में एक पवित्र दीपक है. ये दीपक पिछले 450 सालों से जल रहा है. जिसके लिए इसे एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में भी स्थान मिला हुआ है.