Diwali 2025: नहीं देखी होगी ऐसी अनोखी दीवाली! लोग जलते हुए हिंगोटों से खेलते हैं खतरनाक खेल
विनय कुशवाहा
दीवाली, प्रकाश का पर्व है. हिंदू धर्म के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है. लोग दीप जलाकर, मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करके और मिठाइयां बांटकर त्योहार मनाते हैं.भारत में दीवाली का त्योहार अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. कहीं हर्षोल्लास तो कहीं शोक तो कहीं हिंगोट जैसे खतरनाक खेल खेलकर मनाया जाता है मध्य प्रदेश के इंदौर के गौतमपुरा में हिंगोट खेला जाता है. हिंगोट फल में बारूद भरा जाता है, इसे जलाकर दूसरे पक्ष पर फेंका जाता है.दीवाली के दूसरे दिन हिंगोट खेल, खेला जाता है, जिसे ढोक पड़वा भी कहा जाता है. दो गांवों के बीच हिंगोट खेला जाता है. दो पक्ष कलंगी (गौतमपुरा) और तुर्रा (रुणजी गांव) ये खेल खेलते हैं. ये परंपरा 17वीं शताब्दी में शुरू होती है. मराठा सैनिकों ने मुगलों पर युद्ध के दौरान हिंगोट फेंके थे.इस खेल को शाम के समय खेला जाता है. खेल शुरू होने से पहले देवनारायण भगवान का आशीर्वाद लिया जाता है. अब ये खेल मालवा संस्कृति का अभिन्न अंग बन गया है