चमड़े के खिलौने से लेकर रतलामी सेव, ये हैं एमपी के 8 शानदार GI प्रोडक्ट
विनय कुशवाहा
मध्य प्रदेश के 20 से ज्यादा प्रोडक्ट हैं, जिन्हे जीआई (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन) मिल चुका है. इनमें सजावटी सामान, खाद्यान्न, सिल्क और फल तक शामिल हैं चमड़े के खिलौने: इंदौर के चमड़े के खिलौनों को जीआई टैग प्राप्त है, जो बेहद कलात्मक और आकर्षक होते हैं. रतलामी सेव: इसका इतिहास 200 साल से भी ज्यादा पुराना है. इसे नाश्ते की तरह इस्तेमाल किया जाता है. इसे 2014 में जीआई टैग मिला. सुंदरजा आम: रीवा जिले के गोविंदगढ़ में सुंदरजा आम की पैदावार की जाती है. इसके सुनहरे रंग, रेशा और गूदे की वजह से इसे साल 2023 में जीआई टैग मिलामहेश्वरी साड़ी: खरगोन जिले के महेश्वर में सिल्क साड़ी का निर्माण किया जाता है. इसे होलकर वंश की रानी अहिल्याबाई ने संरक्षण दिया था.सरबती गेहूं: सीहोर जिले में उगाए जाने वाला सरबती गेहूं स्वाद मीठा और दाना चमकदार होता है.कड़कनाथ: झाबुआ जिले में कड़कनाथ मुर्गे को संरक्षण दिया गया है. इसमें प्रोटीन की मात्रा उच्च और वसा की मात्रा कम होती है. गोंड पेंटिंग: इसे गोंड जनजाति द्वारा बनाया जाता है. इसे मुख्य रूप से डिंडोरी जिले के कलाकार तैयार करते हैं. बेल मेटल वेयर: दतिया और टीकमगढ़ में बेल मेटल से विभिन्न उत्पाद तैयार किए जाते हैं.