गुजरात के इस गांव में किसी के घर नहीं जलता चुल्हा, फिर भी कोई नहीं रहता भूखा
किशन डंडौतिया
चांदणकी गांव
भारत के हर गांव की अपनी अनोखी परंपरा और संस्कृति होती है. लेकिन गुजरात का चांदणकी गांव अपनी अनोखी परंपरा के कारण खास है.इस गांव में किसी भी घर में चूल्हा नहीं जलता है. सभी लोग एक ही स्थान पर मिलकर सामूहिक रूप से भोजन करते हैं.गांव की आबादी लगभग हजार लोगों की है. रोजाना सभी के लिए सामूहिक रूप से खाना पकाया जाता है.यहां के लोग मिलजुलकर रहते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हैं. एकता और भाईचारे की यह परंपरा गांव की पहचान बन गई है.इस परंपरा की शुरुआत उन युवाओं ने की थी जो विदेश या शहरों में बस गए. उन्होंने बुजुर्गों की सुविधा के लिए सामूहिक रसोई की व्यवस्था की.त्योहारों और विशेष अवसरों पर यहां खास व्यंजन बनाए जाते हैं. गांव वाले पर्यटकों का स्वागत करते हैं और उन्हें भोजन कराते हैं.गांव के सभी लोग खुशहाल और संतुष्ट जीवन जीते हैं. यहां कोई अकेलापन महसूस नहीं करता, सभी एक परिवार की तरह रहते हैं.धीरे-धीरे यह गांव एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बनता जा रहा है. भारत की एकता, संस्कृति और प्रेम का यह गांव अद्भुत उदाहरण है.