ट्रेन के इंजन में टॉयलेट क्यों नहीं होता? इमरजेंसी में लोको पायलट क्या करते हैं? जवाब चौंका देगा
किशन डंडौतिया
भारतीय रेलवे
ट्रेन के इंजन का डिज़ाइन बहुत कॉम्पैक्ट होता है, जिसमें मुख्य रूप से मशीनरी और ड्राइवर के लिए जगह होती है. शौचालय बनाने के लिए पर्याप्त जगह नहीं होती है.चलती ट्रेन में शौचालय का रखरखाव करना मुश्किल होता है और यह सुरक्षा के लिए भी जोखिम भरा हो सकता है.अगर ड्राइवर को टॉयलेट जाना हो, तो वह ट्रेन को किसी भी स्टेशन पर रोक सकता है.ज़्यादातर मालगाड़ियों के ड्राइवर की यात्राएं छोटी होती हैं और वे अपने शुरुआती या आखिरी स्टेशन पर ही टॉयलेट का इस्तेमाल करते हैं.आधुनिक इंजनों में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और मशीनरी की भरमार होती है, जो टॉयलेट के लिए जगह नहीं छोड़ती.जब भाप के इंजन बनते थे, तब टॉयलेट नहीं होते थे, और यह नियम आज भी बहुत हद तक चल रहा है.ड्राइवरों को पानी कम पीने की सलाह दी जाती है ताकि उन्हें बार-बार टॉयलेट न जाना पड़े.हर स्टेशन पर ड्राइवरों के लिए शौचालय और अन्य सुविधाएं उपलब्ध होती हैं.