Pausha Putrada Ekadashi 2025: पौष महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को पौष एकादशी कहा जाता है. इस वर्ष यह तिथि 30 दिसंबर को पड़ रही है और खास बात यह है कि यह साल 2025 की अंतिम एकादशी भी है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधि-विधान से व्रत, पूजा और दान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. चूंकि यह वर्ष की आखिरी एकादशी है, इसलिए इसका शुभ प्रभाव आने वाले नए साल 2026 तक बना रहता है. इसी कारण इस दिन ऐसे किसी भी कार्य से बचने की सलाह दी जाती है, जो भविष्य में अशुभ फल दे सकता हो.
संतान सुख और परिवार की खुशहाली के लिए व्रत अत्यंत फलदायी
पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान सुख की कामना, परिवार में खुशहाली और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है. मान्यता है कि श्रद्धा और नियमों का पालन करते हुए इस दिन पूजा-पाठ करने से संतान से जुड़े कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सकारात्मकता आती है. इस तिथि पर किया गया दान भी बहुत पुण्यदायी माना जाता है, लेकिन शास्त्रों में कुछ वस्तुओं के दान को इस दिन वर्जित बताया गया है, क्योंकि उनसे शुभ फल के स्थान पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.
पौष एकादशी पर नहीं करना चाहिए इन वस्तुओं का दान
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार पौष पुत्रदा एकादशी पर लोहा या लोहे से बनी वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही काले तिल और काले वस्त्र का दान भी इस दिन वर्जित माना गया है, क्योंकि इनका संबंध शनि और नकारात्मक ऊर्जा से जोड़ा जाता है, जिससे जीवन में बाधाएं बढ़ सकती हैं. इसके अलावा इस दिन तेल का दान करने से भी बचना चाहिए, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इससे संतान सुख में रुकावट और आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.
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खाने की किन वस्तुओं के दान से बचा जाए
वहीं पौष पुत्रदा एकादशी के दिन नमक का दान या किसी को नमक उधार देना भी अशुभ माना गया है, क्योंकि इससे पुण्य के बजाय पाप का भागी बनना पड़ सकता है. इस प्रकार पौष पुत्रदा एकादशी पर व्रत और पूजा के साथ-साथ दान करते समय भी विशेष सावधानी बरतना आवश्यक है, ताकि इसका पूरा शुभ फल प्राप्त हो और आने वाला नया साल सुख-समृद्धि से भरा रहे.
(डिस्क्लेमर: यह खबर धार्मिक मान्यताओं, ज्योतिष शास्त्र और पंचांग आधारित जानकारी पर लिखी गई है. इसका उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी देना है. विस्तार न्यूज किसी भी ज्योतिषीय दावे की पुष्टि नहीं करता है.)
