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Chandra Grahan 2025: चंद्र ग्रहण में गलतियों से बचें, वरना परिवार पर पड़ सकता है भारी, जानें क्या करें और क्या न करें

Chandra Grahan 2025 Upay

चंद्र ग्रहण 2025 के समाधान

7 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा के दिन साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा. यह खगोलीय घटना न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भी इसका गहरा प्रभाव माना जाता है. चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ गलतियां पूरे परिवार के लिए परेशानी का कारण बन सकती हैं.

चंद्र ग्रहण का समय और महत्व

7 सितंबर को रात 9:57 बजे से शुरू होने वाला यह पूर्ण चंद्र ग्रहण मध्यरात्रि 1:26 बजे तक रहेगा. इसकी कुल अवधि 3 घंटे 29 मिनट होगी. यह ग्रहण भारत सहित एशिया, यूरोप, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के कई हिस्सों में दिखाई देगा. वैदिक ज्योतिष के मुताबिक, चंद्र ग्रहण का प्रभाव व्यक्तिगत जीवन, परिवार और समाज पर पड़ता है. सूतक काल, जो ग्रहण से 9 घंटे पहले शुरू होता है, इस दौरान विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है. सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर 12:57 बजे से शुरू होगा और ग्रहण समाप्ति के साथ खत्म होगा.

ज्योतिषियों के मुताबिक, चंद्र ग्रहण के दौरान राहु और केतु का प्रभाव बढ़ता है, जिससे नकारात्मक शक्तियां सक्रिय हो सकती हैं. निम्नलिखित गलतियों से बचना जरूरी है, वरना परिवार पर इसका बुरा असर पड़ सकता है:

सूतक काल और ग्रहण के दौरान भोजन बनाना या खाना वर्जित है. मान्यता है कि इस समय भोजन में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश कर सकती है. खाने में तुलसी के पत्ते डालकर रखने से इसे शुद्ध रखा जा सकता है.

चाकू, कैंची, नेल कटर जैसी नुकीली चीजों का इस्तेमाल न करें. खासकर गर्भवती महिलाओं को इससे बचने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह शिशु और मां के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डाल सकता है.

ग्रहण के दौरान कोई नया कार्य, जैसे व्यवसाय शुरू करना, विवाह या अन्य शुभ अनुष्ठान करना अशुभ माना जाता है. इससे कार्यों में बाधा और नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं.

सूतक काल में मंदिर जाना, पूजा-पाठ करना या देवी-देवताओं की मूर्तियों को छूना वर्जित है. इस दौरान मंदिरों के कपाट भी बंद रहते हैं.

झगड़े, बहस, या अशुभ स्थानों पर जाने से बचें. इससे परिवार में कलह और मानसिक तनाव बढ़ सकता है.

मांस, मदिरा या अन्य तामसिक भोजन का सेवन न करें. साथ ही, ब्रह्मचर्य नियमों का पालन करें, क्योंकि इसका उल्लंघन नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.

चंद्र ग्रहण के दौरान क्या करें

ग्रहण काल को आध्यात्मिक और मानसिक शुद्धि का समय माना जाता है. निम्नलिखित कार्य करने से सकारात्मक प्रभाव पड़ता है:

चंद्र ग्रहण के दौरान भगवान शिव के मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ या चंद्र देव के बीज मंत्र ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः’ का जाप करें. यह नकारात्मक प्रभावों को कम करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है.

रामचरितमानस, भागवत गीता, या अन्य धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना शुभ माना जाता है. यह परिवार में सकारात्मक ऊर्जा लाता.

ग्रहण समाप्त होने के बाद पवित्र जल से स्नान करें. इसके बाद दूध, अन्न, फल, या सफेद वस्तुओं का दान करें. यह पुण्य कार्य माना जाता है और ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव को कम करता है.

गर्भवती महिला ध्यान दें

गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान घर में रहना चाहिए और नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए मंत्र जाप करना चाहिए. ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करना लाभकारी होता है.

परिवार पर चंद्र ग्रहण का प्रभाव

ज्योतिष के मुताबिक, चंद्र ग्रहण का प्रभाव राशियों और व्यक्तिगत कुंडली पर निर्भर करता है. कुछ राशियों, जैसे सिंह, कर्क, मीन, और धनु, पर इसका प्रभाव अधिक हो सकता है.

इसके अलावा, ग्रहण का प्रभाव सामाजिक और वैश्विक स्तर पर भी देखा जा सकता है. राजनीतिक अस्थिरता, प्राकृतिक आपदाएं, या आर्थिक उतार-चढ़ाव की संभावना रहती है. भारत के पहाड़ी राज्यों, ओडिशा, और महाराष्ट्र जैसे क्षेत्रों पर विशेष प्रभाव पड़ सकता है.

वैज्ञानिक दृष्टिकोण

वैज्ञानिक रूप से, चंद्र ग्रहण एक प्राकृतिक खगोलीय घटना है, जो तब होती है जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, और चंद्रमा पृथ्वी की छाया में प्रवेश करता है. इसे नग्न आंखों से देखना सुरक्षित है, और बेहतर अनुभव के लिए दूरबीन या टेलीस्कोप का उपयोग किया जा सकता है.

(नोट: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है. कोई भी उपाए करने से पहले अपने पंडित से सलाह जरूर लें.)

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