Chhath Puja Shastra: लोक आस्था का महापर्व छठ शुरू हो चुका है. यह चार दिन का पर्व बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित इस त्योहार में व्रतधारी 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास रखते हैं. नहाय-खाय से शुरू होकर खरना, फिर अस्ताचलगामी और उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देकर यह व्रत पूरा होता है. इस दौरान हर पूजा सामग्री का खास महत्व होता है, खासकर सुपा, जो अर्घ्य देने और प्रसाद सजाने में इस्तेमाल होता है. लेकिन सवाल यह है कि बांस का सुपा बेहतर है या पीतल का?
छठ पूजा का अनमोल हिस्सा सुपा
छठ पूजा में हर सामान का अपना महत्व है. हालांकि, प्रसाद सजाने और सूर्य को अर्घ्य देने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला सुपा इस पर्व का दिल माना जाता है. यह न सिर्फ पूजा का हिस्सा है, बल्कि यह श्रद्धा और परंपरा का प्रतीक भी है. लेकिन बांस और पीतल के सुपे में से कौन सा चुनना चाहिए? शास्त्र और परंपराएं इस बारे में क्या कहती हैं, आइए जानते हैं.
बांस का सुपा
शास्त्रों के मुताबिक, बांस का सुपा सबसे शुद्ध और पवित्र माना जाता है. यह पूरी तरह प्राकृतिक और सात्विक होता है. बांस तेजी से बढ़ता है और मान्यता है कि बांस के सुपे में पूजा करने से संतान की उन्नति, परिवार की तरक्की और स्वास्थ्य में सुधार होता है. व्रती इस सुपा में ठेकुआ, फल और अन्य प्रसाद सजाकर सूर्य देव को अर्पित करते हैं. यह सुपा प्रकृति के साथ जुड़ाव का प्रतीक है और सदियों से छठ पूजा की परंपराओं का हिस्सा रहा है. गांवों में आज भी बांस के सुपे का चलन सबसे ज्यादा है.
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पीतल का सुपा
आजकल कई लोग पीतल के सुपे या परात का उपयोग भी करते हैं. शास्त्रों में पीतल को सूर्य का धातु माना गया है. इसकी चमक और सुनहरा रंग सूर्य की ऊर्जा का प्रतीक है. पीतल का सुपा इस्तेमाल करने से घर में धन, वैभव और समृद्धि बढ़ती है. यह उन लोगों के लिए बेहतर विकल्प है जो परंपरा के साथ आधुनिकता को जोड़ना चाहते हैं. शहरों में पीतल के सुपे का चलन बढ़ रहा है, क्योंकि यह टिकाऊ और आकर्षक होता है. शास्त्रों के अनुसार, पीतल का सुपा भी शुभ फल देता है.
कौन सा सुपा चुनें?
बांस और पीतल, दोनों सुपा का अपना-अपना महत्व है. अगर आप परंपराओं को पूरी तरह निभाना चाहते हैं और प्रकृति के साथ जुड़ाव को महत्व देते हैं, तो बांस का सुपा आपके लिए सबसे शुभ है. वहीं, अगर आप शुद्धता के साथ थोड़ी आधुनिकता चाहते हैं, तो पीतल का सुपा भी उतना ही मंगलकारी है. दोनों ही सूर्य और छठी मैया की कृपा पाने में सहायक हैं. छठ पूजा का सुपा सिर्फ एक बर्तन नहीं, बल्कि श्रद्धा, विश्वास और संस्कृति का प्रतीक है. चाहे बांस हो या पीतल, आपके मन की शुद्धता और भक्ति ही इस पूजा को और खास बनाती है.
