Lord Ganesha Vehicle: भगवान गणेश को हिंदू धर्म में बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है. ऐसा माना गया है कि किसी भी मांगलिक कार्य की शुरुआत से पहले गणेश की पूजा करने से वह कार्य निर्विघ्न पूरा होता है. इसलिए उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. जैसे सभी देवी-देवताओं की अपनी-अपनी सवारी है. वैसे ही भगवान गणेश की सवारी मूषक यानी चूहा है. ऐसे में आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर गणेश जी ने चूहे को ही क्यों अपने वाहन के रूप में चूना? आइये यहां आज गणेश जी के चूहे की कहानी ही बताते हैं.
ऋषि ने क्रौंच को दिया था श्राप
भगवान गणेश की सवारी मूषक की कथा मत्स्य पुराण में वर्णित है. कहानी के अनुसार, स्वर्ग में देवताओं के राजा इंद्र दरबार लगा रहे थे. ऋषि, गंधर्व और देवता दरबार में इकट्ठे हुए. इंद्र क्रौंच को एक मिशन सौंपना चाहते थे, जो एक गंधर्व था. जैसे ही क्रौंच को इंद्र ने बुलाया वो अपनी जगह से आगे बढ़ गए. इस दौरान उन्होंने गलती से ऋषि वामदेव के पैर पर ठोकर मार दी. ऋषि ने गुस्से में आकर क्रौंच को श्राप देकर चूहा बना दिया.
चूहे ने ब्रह्मांड में मचाया उत्पात
श्राप के बाद क्रौंच एक विशाल चूहे में बदल गया और उसने फसलों, वनस्पतियों, जानवरों को नष्ट करना शुरू कर दिया और लोगों को भी मारना शुरू कर दिया. विशाल चूहे ने मानों सृष्टि में तांडव मचा दिया. उसके रास्ते में जो कुछ भी आता वो उसे नष्ट कर देता था. लोगों को उम्मीद थी कि भगवान उन्हें इस विनाश से बचाएंगे.
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ऐसे चूहे की सवारी करने लगे भगवान गणेश
एक बार चूहा ऋषि पराशर के आश्रम से होकर गुजरा. भगवान गणेश ने भी परिसर में डेरा डाला और मूषक के अत्याचारों को समाप्त करने का फैसला किया. एक लड़ाई में भगवान ने जल्द ही उस पर विजय प्राप्त कर ली. वश में होने के बाद मूषक ने भगवान गणेश के चरणों में आत्मसमर्पण कर दिया और उनसे क्षमा मांगी.
चूंकि गणेश विशाल चूहे पर सवार थे, मूषक भगवान का भारी वजन सहन नहीं कर सका. उसने प्रभु से विनती की कि वह उसका आकार छोटा करके उस पर दया करे. भगवान गणेश ने दयापूर्वक सहमति व्यक्त की और छोटा आकार धारण कर लिया. इसके बाद से भगवान गणेश मूषक की सवारी करने लगे.