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आज से 4 महीने तक शादी-ब्याह पर लग जाएगा रोक, आखिर क्यों सोने जा रहे हैं जगत के पालनहार?

Devshayani Ekadashi

प्रतीकात्मक तस्वीर

Devshayani Ekadashi: क्या आपने कभी सोचा है कि हर साल कुछ महीनों के लिए शादी-ब्याह, गृह प्रवेश जैसे शुभ कामों पर अचानक ब्रेक क्यों लग जाता है? दरअसल, इसके पीछे एक बहुत ही रोचक पौराणिक कथा और कुछ मान्यताएं छुपी हुई हैं, जो हमारे जीवन को आध्यात्मिकता से जोड़ती हैं. इस साल, 6 जुलाई 2025 से लेकर 2 नवंबर 2025 तक, करीब चार महीनों के लिए आपको ऐसे किसी भी शुभ कार्य के लिए इंतजार करना पड़ेगा.

जब योग निद्रा में जाते हैं श्री हरि

इस पूरी कहानी की शुरुआत होती है देवशयनी एकादशी से, जो इस साल 6 जुलाई को पड़ रही है. इस दिन से सृष्टि के पालनहार, हमारे प्यारे भगवान विष्णु क्षीरसागर में योग निद्रा में चले जाते हैं. इसे आप ऐसे समझ सकते हैं, जैसे एक बड़े राजा अपनी सारी जिम्मेदारियां कुछ समय के लिए अपने विश्वासपात्रों को सौंपकर खुद एक लंबी, आरामदायक छुट्टी पर चले जाते हैं. भगवान विष्णु के इस निद्रा काल को चातुर्मास कहते हैं, क्योंकि ये पूरे चार महीने तक चलता है.

सृष्टि का सारा कामकाज कौन संभालता है?

जब भगवान विष्णु विश्राम पर होते हैं, तो सृष्टि का सारा कामकाज कौन संभालता है? मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान भगवान शिव और अन्य देवी-देवता सृष्टि का संचालन करते हैं. यह समय आम नहीं होता, बल्कि इसे आध्यात्मिक विकास के लिए बहुत खास माना जाता है. चातुर्मास में लोग अक्सर उपवास रखते हैं, धार्मिक ग्रंथों का पाठ करते हैं और सात्विक जीवन जीते हैं. यह एक तरह से अपनी आत्मा को रिचार्ज करने का समय होता है.

तो फिर क्यों रुक जाते हैं शुभ कार्य?

अब आता है असली सवाल कि जब भगवान विष्णु आराम कर रहे हैं, तो शादी-ब्याह क्यों नहीं हो सकते? इसके पीछे कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण मान्यताएं हैं.

दरअसल, हिंदू परंपराओं में विवाह, गृह प्रवेश जैसे बड़े मांगलिक कार्यों के लिए भगवान विष्णु का आशीर्वाद बहुत-बहुत ज़रूरी माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि जब वे स्वयं योग निद्रा में होते हैं, तो इन कार्यों के लिए उनका सीधा और पूर्ण आशीर्वाद उपलब्ध नहीं होता. अब सोचिए, बिना भगवान की अनुमति के कोई बड़ा काम कैसे शुरू हो सकता है?

कहा जाता है कि इस दौरान पृथ्वी पर सकारात्मक ऊर्जा का स्तर थोड़ा कम हो जाता है. शुभ कार्यों को सफल बनाने और उनसे बेहतरीन परिणाम पाने के लिए सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बहुत ज़रूरी होता है. जैसे, अगर बिजली कम हो तो बल्ब ठीक से नहीं जलता, वैसे ही ऊर्जा कम होने पर शुभ कार्यों में कमी रह सकती है.

कुछ मान्यताएं यह भी बताती हैं कि इस अवधि में कुछ खास दैवीय शक्तियां, जो इन शुभ कार्यों को सफल बनाने में मदद करती हैं, वे भी थोड़ी ‘शांत’ हो जाती हैं या उतनी सक्रिय नहीं रहतीं. इसलिए, इन कार्यों को करने से उनका पूरा लाभ नहीं मिल पाता.

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अगर इस समय शुभ कार्य किया तो उसका असर क्या होगा?

अब मान लीजिए, किसी ने जिद की और इस चातुर्मास में ही शादी या गृह प्रवेश करवा लिया, तो क्या होगा? मान्यताओं के अनुसार, इन कार्यों का जो शुभ फल मिलना चाहिए, वह पूरा नहीं मिलता. जैसे, किसी व्यंजन में नमक कम हो, तो स्वाद नहीं आता.

कार्य में अनावश्यक रुकावटें आ सकती हैं या फिर उसे पूरा होने में बहुत ज़्यादा समय लग सकता है. खासकर शादियों के मामले में, ऐसा माना जाता है कि यह रिश्ता उतना मजबूत या सफल नहीं होगा जितना होना चाहिए. उसमें तालमेल की कमी आ सकती है या भविष्य में छोटी-मोटी परेशानियां खड़ी हो सकती हैं.

गृह प्रवेश जैसे कार्यों में घर में सुख-शांति की कमी महसूस हो सकती है, या आप उस जगह से पूरी तरह जुड़ नहीं पाएंगे. ये ठीक वैसे ही है जैसे आप किसी बहुत महत्वपूर्ण परीक्षा के लिए तैयारी कर रहे हों और आपके गुरुजी छुट्टी पर हों. आप शायद परीक्षा दे दें, लेकिन आपको वो मार्गदर्शन नहीं मिलेगा जो सफलता के लिए ज़रूरी है.

कब बजेगी फिर से शहनाई?

घबराइए नहीं. भगवान विष्णु सदा के लिए योग निद्रा में नहीं जाते. वे देवउठनी एकादशी के दिन अपनी गहरी नींद से जागृत होते हैं. इस साल यह शुभ दिन 2 नवंबर 2025 को पड़ेगा. इस दिन के बाद से ही, हर तरफ फिर से शहनाइयां बजने लगेंगी, घर प्रवेश होंगे और सारे मांगलिक कार्य धूमधाम से शुरू हो जाएंगे, क्योंकि अब भगवान विष्णु का दिव्य आशीर्वाद एक बार फिर से उपलब्ध होगा.

इन चार महीनों का महत्व सिर्फ शुभ कार्यों पर रोक से कहीं ज़्यादा है. यह हमें आत्मचिंतन करने, अपने आध्यात्मिक पक्ष को मज़बूत करने और प्रकृति के साथ तालमेल बिठाने का एक अनमोल अवसर देता है.

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