Ganesh Chaturthi Decoration: गणेश चतुर्थी का पर्व आते ही हर जगह भक्ति और उत्साह का माहौल छा जाता है. बप्पा की स्थापना के साथ ही घर और पंडालों की सजावट पर भी लोग खास ध्यान देते हैं. लेकिन कई बार सजावट के लिए थर्माकोल, प्लास्टिक और दूसरी ऐसी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, जो न तो दोबारा काम आती हैं और न ही प्रकृति के लिए अच्छी होती हैं. यही कारण है कि अब लोग इको-फ्रेंडली डेकोरेशन को ज्यादा पसंद करने लगे हैं. यह न केवल खूबसूरत लगता है बल्कि पर्यावरण के मायने से भी सुरक्षित है.
प्राकृतिक सजावट
गणपति की पूजा में फूलों और पत्तों की सजावट का महत्व खास होता है. गेंदे की माला, आम या केले के पत्ते पंडाल को बेहद आकर्षक बना देते हैं.अच्छी बात यह है कि ये पूरी तरह बायोडिग्रेडेबल होते हैं और पूजा के बाद मिट्टी में आसानी से मिल जाते हैं.
कपड़े और रंगोली का इस्तेमाल
प्लास्टिक की जगह अगर आप कपड़े की रंग-बिरंगी चुनरी, पर्दे या दुपट्टे लगाएं तो सजावट और भी सुंदर लगेगी. इसके अलावा, मिट्टी या फूलों से बनी इको-फ्रेंडली रंगोली का इस्तेमाल करें. ये किसी भी तरह का प्रदूषण नहीं फैलाती और घर या पंडाल का माहौल भी पॉजिटिव रखती है.
बांस और मिट्टी के सजावटी सामान
आजकल बांस, जूट और मिट्टी से बने डेकोर आइटम्स आसानी से उपलब्ध हैं. जैसे दीये, टोकरियां, सजावटी लैंप और छोटी मूर्तियां. इनका उपयोग न केवल सुंदरता बढ़ाता है बल्कि इन्हें बार-बार इस्तेमाल भी किया जा सकता है.
लाइटिंग में सावधानी
त्योहारों में रोशनी का अपना महत्व होता है, लेकिन ज्यादा बिजली खर्च करने की बजाय LED लाइट्स का इस्तेमाल करें. इसके साथ ही मिट्टी के दीयों को रंगकर सजाएं, इससे वातावरण में एक प्राकृतिक और दिव्य आभा बनेगी.
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रीसाइकल्ड सामग्री का उपयोग
घर में मौजूद पुराने कार्डबोर्ड, कागज या कपड़े से भी खूबसूरत सजावट की जा सकती है. बच्चों के साथ मिलकर सजावट बनाना न सिर्फ मजेदार होगा साथ ही इससे उनमें प्रकृति के प्रति जिम्मेदारी भी आएगी.
पर्यावरण की सुरक्षा में अपना योगदान दें
तो इस बार गणेश चतुर्थी पर इको-फ्रेंडली सजावट अपनाकर बप्पा का स्वागत करें और साथ ही पर्यावरण की सुरक्षा में अपना योगदान दें.
