Hartalika Teej: हरतालिका तीज व्रत हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक प्रमुख व्रत है. तीज का व्रत विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं. यह व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. हरितालिका तीज को हरतालिका भी कहते हैं. हरतालिका का संबंध भगवान शिव से होता है, ‘हर’ भगवान शिव का नाम है इसलिए इसे हरतालिका तीज कहा जाता है.
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर को यानी आज रखा जा रहा है. वहीं, अविवाहित कन्या इस व्रत को अच्छे जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए रखती हैं. इस व्रत के दौरान किसी भी प्रकार का अन्न और जल ग्रहण नहीं किया जाता है. इसके साथ ही सायंकाल में महिलाएं सोलह श्रृंगार करके मां गौरी और भगवान शिव के साथ श्री गणेश और कार्तिकेय की पूजा अर्चना करती हैं.
शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की तृतीया तिथि कल 5 सितंबर की दोपहर 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू हो चुकी है और तिथि का समापन 6 सितंबर यानी आज दोपहर में 3 बजकर 01 मिनट पर होगा. लेकिन उदयातिथि के आधार पर हरतालिका तीज आज ही मनाई जा रही है. अगर पूजा कि शुभ मुहूर्त कि बात करें तो वैसे तो हरितालिका पूजन तीज के दिन किसी भी समय किया जा सकता है. लेकिन प्रातःकाल और प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विशेष कल्याणकारी होती है. पूजा का शुभ मुहूर्त आज सुबह में 6:02 बजे से लेकर 8:33 है. इसकी कुल अवधि 2 घंटे 31 मिनट है.
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पूजन सामग्री और पूजन विधि
हरतालिका व्रत के पूजन के लिए आवश्यक सामग्री जुटा लें. सबसे पहले पूजन के लिए भगवान शिव, देवी पार्वती और उनके पुत्र भगवान गणेश की मिट्टी की प्रतिमा रखें. पीले रंग का वस्त्र, केले का पत्ता, रोली, जनेऊ, सुपारी, शमी के पत्ते, बेलपत्र, कलश, अक्षत, दूर्वा, घी, कपूर, दही, गंगाजल चाहिए. इसके अलावा देवी पार्वती की सुहाग सामग्री में मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, सुहाग पिटारी आदि रखें.
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हरतालिका तीज के दिन सुबह स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लें. यह उपवास निर्जला रखा जाता है. अगर स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो फलाहार भी कर सकते हैं. सायं काल प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त उपासना करें. इस दिन सुहागिन महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं. दूध, दही, चीनी, शहद और घी से पंचामृत बनाएं. सुहाग की सामग्री को अच्छी तरह सजाकर मां पार्वती को अर्पित करें. शिवजी को वस्त्र अर्पित करें. इसके बाद हरतालिका व्रत की कथा सुनें. इसके बाद सबसे पहले गणेश जी और फिर शिवजी व माता पार्वती की आरती उतारें. साथ ही भगवान की परिक्रमा करें. रात को जागरण करें. फिर अगले दिन सुबह स्नान करने के बाद माता पार्वती का पूजन करें और उन्हें सिंदूर चढ़ाएं.