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जब देवी दुर्गा ने देवताओं के अहंकार को किया था चूर-चूर, रोचक है कहानी

देवी दुर्गा

देवी दुर्गा

Mythological Story: एक समय की बात है, जब देवताओं और असुरों के बीच एक भयंकर युद्ध छिड़ गया था. असुरों की विशाल सेना ने देवताओं को मुश्किल में डाल दिया था और देवताओं को अपनी रक्षा के लिए किसी चमत्कारी सहायता की आवश्यकता थी. इसी समय, देवी दुर्गा का अवतार हुआ. माता दुर्गा ने अपनी अनंत शक्ति और साहस से असुरों का संहार करना शुरू किया. उनका युद्ध कौशल और अद्वितीय शक्ति देख कर असुरों में हड़कंप मच गया. देवी दुर्गा ने सभी असुरों का नाश किया और देवताओं को विजय दिलाई.

देवताओं का अहंकार

देवताओं की जीत के बाद एक अजीब सा अहंकार उनके मन में आ गया. उन्होंने यह मान लिया कि यह युद्ध उनकी शक्ति से जीता गया है और उनका अहंकार बढ़ने लगा. वे इस सोच में खो गए कि वे ही सृष्टि के स्रष्टा, पालक और संहारक हैं. माता दुर्गा ने देवताओं के भीतर का यह अहंकार देखा और उन्हें समझ में आ गया कि उनका यह अहंकार उन्हें विनाश के मार्ग पर ले जाएगा. देवी दुर्गा जानती थीं कि उनके घमंड को चूर करना आवश्यक है, ताकि वे अपने वास्तविक स्थान को समझें और विनम्र बनें. इसके लिए देवी ने एक विशेष योजना बनाई. वे देवताओं को उनकी शक्ति और नियंत्रण की सीमाएं दिखाना चाहती थीं.

तेजपुंज के रूप में प्रकट हुई माता

एक दिन देवी दुर्गा तेजपुंज के रूप में देवताओं के समक्ष प्रकट हुईं. यह रूप इतना उज्जवल था कि देवताओं की आंखें चौंधिया गईं. माता का यह रूप देख कर देवता अचंभित हो गए. देवताओं के राजा इंद्रदेव ने तुरंत वायुदेव को भेजा, ताकि वे इस तेजपुंज के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें और यह जान सकें कि यह कौन है.

वायुदेव की परीक्षा

वायुदेव तेजपुंज के पास पहुंचे और उन्होंने अपनी शक्ति का अभिमान करते हुए कहा, “मैं अतिबलवान हूं, मैं ही प्राणों का स्रोत हूं, और मेरी शक्ति के आगे किसी की भी नहीं चल सकती.” यह सुनकर तेजपुंज रूपी देवी दुर्गा ने वायुदेव से कहा, “अगर तुम सचमुच इतने शक्तिशाली हो, तो इस तिनके को हिलाकर दिखाओ.” वायुदेव ने अपनी पूरी शक्ति झोंक दी, लेकिन वह तिनके को भी हिला नहीं पाए.

वायुदेव ने पूरी कोशिश की, लेकिन वह तिनके को हिलाने में पूरी तरह से असमर्थ रहे. इस घटना के बाद, वायुदेव ने इंद्रदेव के पास जाकर सारी स्थिति बताई. अब इंद्र देव और भी चौंक गए और सोचने लगे कि अगर वायुदेव जैसा शक्तिशाली देवता भी इस तिनके को नहीं हिला पाया, तो यह तेजपुंज किसकी शक्ति है?

अग्निदेव की परीक्षा

इंद्रदेव ने अग्निदेव को आदेश दिया कि वे इस तिनके को जलाकर देखें, क्योंकि अग्नि की शक्ति भी बहुत प्रचंड मानी जाती थी. अग्निदेव ने पूरी कोशिश की, लेकिन वह भी तिनके को जलाने में असमर्थ रहे. यह देखकर इंद्रदेव और देवता पूरी तरह से हैरान रह गए और अब उन्हें यह समझ में आ गया कि यह कोई सामान्य शक्ति नहीं है. तभी उन्होंने इस तेजपुंज की उपासना शुरू की और धीरे-धीरे वे समझ गए कि यह शक्ति उनसे कहीं अधिक है.

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माता दुर्गा का दिव्य दर्शन

इसके बाद, तेजपुंज रूपी देवी दुर्गा ने अपना वास्तविक रूप दिखाया. उन्होंने इंद्रदेव और अन्य देवताओं को समझाया, “सृष्टि का सृजन, पालन और संहार तुम नहीं करते. इन शक्तियों का स्रोत मैं हूं. तुम सभी मेरी कृपा से अस्तित्व में हो.” देवी दुर्गा ने यह बताया कि अहंकार किसी भी स्थिति में उचित नहीं है. सभी शक्तियां और विशेषताएं उनके द्वारा दी गई हैं, और उन्हें कभी भी अपने घमंड में नहीं रहना चाहिए.

शिक्षा और संदेश

यह कथा हमें जीवन का एक महत्वपूर्ण संदेश देती है. हमें कभी भी अपने किसी भी गुण या शक्ति पर अहंकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि सारी शक्ति माता दुर्गा की कृपा से ही आती है. हमारी शक्ति का उपयोग केवल दूसरों की भलाई के लिए होना चाहिए. इस कथा के माध्यम से यह भी समझ में आता है कि सच्ची शक्ति विनम्रता में होती है, और अहंकार के बजाय हमें अपनी शक्ति और गुणों का सही दिशा में उपयोग करना चाहिए.

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