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Sudarshana Chakra: जब श्री हरि विष्णु ने महादेव को चढ़ा दी अपनी एक आंख, जानें कैसे बना था सुदर्शन चक्र

Sudarshana Chakra

सुदर्शन चक्र की कहानी

Sudarshana Chakra: भगवान कृष्ण के हाथ का सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु का सबसे शक्तिशाली हथियार है. एक बार इसका प्रयोग किसी पर किया गया तो यह उसे मारे बिना वापस नहीं आता. महाभारत काल में शिशुपाल के मुख से 100 अपशब्द निकलते ही श्रीकृष्ण ने अपना सुदर्शन चक्र चला दिया और पलक झपकते ही शिशुपाल का सिर कटकर गिर गया था. वैसे तो हिंदू धर्म में कई भगवान के पास कई सारे शक्तिशाली अस्त्र हैं जैसे ब्रह्मा जी के पास ब्रह्मास्त्र, देवाधिदेव महादेव के पास त्रिशूल, भगवान विष्णु के पास सुदर्शन चक्र. लेकिन क्या आप सुदर्शन चक्र के इतिहास, कहानी और शक्ति के बारे में जानते हैं? अगर नहीं जानते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं. यहां हम भगवान विष्णु के सबसे खास अस्त्र सुदर्शन चक्र के बारे में बताते हैं.

सुदर्शन चक्र को एक छोटा लेकिन बहुत अचूक हथियार माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार, सभी देवी-देवताओं के पास अपने-अपने अलग-अलग चक्र होते हैं. उन सभी के अलग-अलग नाम भी हैं. शंकर के चक्र को भावरा, विष्णु के चक्र को कांता चक्र और देवी के चक्र को मृत्यु मंजरी कहा जाता है. सुदर्शन चक्र का नाम कृष्ण के नाम के साथ अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है.

सुदर्शन चक्र की शक्ति

भगवान श्रीकृष्ण के पास सुदर्शन चक्र था, जिससे सभी शत्रु भयभीत रहते थे. यह बहुत खतरनाक हथियार था और एक बार इस्तेमाल करने के बाद दुश्मन को तबाह किए बिना नहीं लौटता था. इस अस्त्र को किसी भी प्रकार रोकना असंभव था. किंवदंतियों के अनुसार,परशुराम से सुदर्शन चक्र प्राप्त करने के बाद श्रीकृष्ण की शक्ति बढ़ गई थी. भगवान कृष्ण को सुदर्शन चक्र मिलने के बाद यादवों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र से सबसे पहले राजा श्रृगाल की मृत्यु हुई. वह पद्मावत राज्य के करवीर नगर के राजा थे. उन्होंने अपनी शक्ति का खूब दुरुपयोग किया था.किसी भी घर की महिला, संपत्ति या जमीन को वह अपनी इच्छा से हासिल करने में लग जाता था. बाद में भगवान कृष्ण के हाथों उसकी मृत्यु हुई.

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सुदर्शन चक्र का इतिहास

कहा जाता है कि परशुराम ने भगवान कृष्ण को सुदर्शन चक्र दिया था. परशुराम को यह चक्र पहले वरुणदेव से प्राप्त हुआ था. यह चक्र भगवान वरुण को भगवान अग्नि से,भगवान अग्नि को भगवान विष्णु से मिला था. प्राचीन एवं प्रामाणिक ग्रंथों के अनुसार इसका निर्माण भगवान शंकर ने किया था. निर्माण के बाद भगवान शिव ने इसे भगवान विष्णु को सौंप दिया. आवश्यकता पड़ने पर भगवान विष्णु ने इसे देवी पार्वती को प्रदान किया. माता पार्वती ने इसे परशुराम को दे दिया था और भगवान कृष्ण को यह सुदर्शन चक्र परशुराम से मिला था.

सुदर्शन चक्र की कहानी

भगवान विष्णु की हर तस्वीर और मूर्ति में हम उन्हें सुदर्शन चक्र पकड़े हुए देख सकते हैं. यह सुदर्शन चक्र भगवान शंकर ने विश्व कल्याण हेतु विष्णु को प्रदान किया था. इस संबंध में शिव महापुराण के कोटि रुद्र संहिता में एक कथा मिलती है.

एक बार जब राक्षसों का अत्याचार बढ़ गया तो सभी देवता श्री हरि विष्णु के पास आये. तब विष्णु ने कैलाश पर्वत पर जाकर भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा की. वह हजारों नामों से शिव की स्तुति करने लगा.शिव के एक-एक नाम का स्मरण होने पर एक-एक कमल शिव को अर्पित किया गया. तब भगवान शंकर ने उनकी परीक्षा लेने के लिए विष्णु द्वारा लाए गए सहस्र कमलों में एक कमल का फूल छिपा दिया.

शिव आराधना में लीन विष्णु को यह बात पता नहीं चली. एक फूल गिरने के बाद विष्णु उसे खोजने लगे. लेकिन कोई फूल नहीं मिला. विष्णु को कमलनयन के नाम से भी जाना जाता है. तब विष्णु ने पुष्प अर्पित करने के लिए अपनी एक आंख निकाली और शिव को अर्पित कर दी.

विष्णु की भक्ति देखकर भगवान शंकर बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें श्रीहरि के समक्ष प्रकट होकर वरदान मांगने को कहा. तब विष्णु ने राक्षसों का नाश करने के लिए एक अजेय हथियार का वरदान मांगा. तब भगवान शंकर ने अपना सुदर्शन चक्र विष्णु को दे दिया.

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