Kuber Dev Origin Story: हिंदू धर्म में धन के देवता कुबेर का विशेष स्थान है. धनतेरस के दिन इनकी पूजा का महत्व अधिक होता है, क्योंकि माना जाता है कि इस दिन कुबेर की पूजा करने से घर में समृद्धि आती है और आर्थिक संकट से मुक्ति मिलती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुबेर जो आज धन और समृद्धि के देवता माने जाते हैं, पहले वे एक सामान्य ब्राह्मण थे और उनके जीवन की कहानी अत्यंत दिलचस्प है? आइए जानते हैं ब्राह्मण से देवता बनने की पूरी कहानी:
कुबेर का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था और उनका नाम पहले गुणनिधि था. गुणनिधि बचपन में बेहद बुद्धिमान और ईमानदार थे. वे धर्मशास्त्रों का अध्ययन करते थे और अच्छे कर्मों में विश्वास रखते थे. लेकिन धीरे-धीरे उनके जीवन में बदलाव आया. बुरे साथियों के संपर्क में आने से उनके चरित्र में गिरावट आ गई और वे जुए, चोरी और अन्य गलत कामों की ओर बढ़ने लगे.
माता-पिता ने घर से बाहर निकाला
गुणनिधि का आचरण देखकर उनके माता-पिता बेहद परेशान हो गए. उन्होंने बहुत कोशिश की कि गुणनिधि को समझाकर सुधार लें, लेकिन उनका जीवन बुरी आदतों से ग्रस्त हो चुका था. अंततः उनके माता-पिता ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया. घर से बेघर होकर गुणनिधि बहुत परेशान हो गए और उन्हें कहीं भी शांति नहीं मिल रही थी.
शिव मंदिर में चोरी का प्रयास
एक दिन गुणनिधि एक जंगल में स्थित पुराने शिव मंदिर में पहुंचे. मंदिर में दीपक जल रहा था और उसके पास एक पुजारी सो रहा था. गुणनिधि ने सोचा कि वह दीपक का तेल चुरा लेगा, ताकि दीपक बुझ जाए और उसे चुराए हुए तेल को बेच सके. वह पुजारी से बचने के लिए अंगोछा फैलाकर दीपक के पास गया, लेकिन पुजारी समय पर जाग गया और उसे चोरी करते हुए पकड़ लिया. इसके बाद दोनों में संघर्ष हुआ, और इस हाथापाई में गुणनिधि की मृत्यु हो गई.
भगवान शिव का आशीर्वाद
गुणनिधि की मृत्यु के बाद यमराज के दूत उनकी आत्मा को लेकर जा रहे थे. लेकिन इसी दौरान भगवान शिव के दूत भी आ पहुंचे. भगवान शिव के दूत ने यमराज के दूत से कहा कि गुणनिधि को भगवान शिव के पास ले चलो. शिव के पास जब गुणनिधि की आत्मा पहुंची, तो भगवान शिव ने गुणनिधि के जीवन के अच्छे और बुरे दोनों कर्मों पर विचार किया.
भगवान शिव ने देखा कि गुणनिधि ने एक बार शिव मंदिर में दीपक को बुझने से बचाने के लिए अपनी पूरी कोशिश की थी. यह एक छोटा सा पुण्य कार्य था, लेकिन भगवान शिव ने इसे गंभीरता से लिया और गुणनिधि से कहा, “तुमने दीपक को बचाने का कार्य किया है, इस छोटे से अच्छे काम के कारण मैं तुम्हें आशीर्वाद देता हूं. अब से तुम कुबेर के नाम से प्रसिद्ध होगे और देवताओं के खजांची बनोगे.”
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कुबेर को धन के देवता बनने का आशीर्वाद
भगवान शिव ने कुबेर को नौ निधियों का स्वामी बनाया और उन्हें देवताओं के खजाने का संरक्षक नियुक्त किया. कुबेर को धन, वैभव और समृद्धि का देवता बनाया गया. वे अब हर घर, हर बगिया और नगर में धन और संपत्ति का प्रवाह लाने लगे. कुबेर की कृपा से किसी के घर में आर्थिक संकट नहीं आता.
कुबेर की पूजा का महत्व
आज भी जब हम कुबेर की पूजा करते हैं, तो हम उनके जीवन के इस अद्भुत परिवर्तन को याद करते हैं. कुबेर की पूजा से न केवल धन की प्राप्ति होती है, बल्कि यह भी सिखाता है कि जीवन में चाहे कितनी भी गलतियां की हों, अगर इंसान अपने कर्मों में सुधार कर ले और भगवान की कृपा प्राप्त करे, तो वह एक नया जीवन पा सकता है. कुबेर की जीवन यात्रा हमें यह प्रेरणा देती है कि हर व्यक्ति के भीतर अच्छाई का बीज होता है, जिसे यदि सही दिशा मिल जाए, तो वह महान बन सकता है.