PM Modi Navratri Vrat: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर साल नवरात्रि में पूरे 9 दिन उपवास रखते हैं. वे न सिर्फ भोजन से परहेज करते हैं, बल्कि इसे अनुशासन और आत्मिक साधना का हिस्सा मानते हैं. हाल ही में दिए विशेष साक्षात्कार में उन्होंने अपने उपवास के अनुभव, तैयारियों और जीवन पर पड़े असर को विस्तार से साझा किया है. साक्षात्कार में सबसे महत्वपूर्ण बात प्रधानमंत्री ने नवरात्रि के उपवास को लेकर कही, उन्होंने कहा कि वे नवरात्रि के उपवास में केवल एक ही फल का सेवन करते हैं.
पीएम नवरात्रि में खाते हैं सिर्फ एक फल
पीएम मोदी ने बातचीत में बताया कि भारतीय परंपरा में चातुर्मास का विशेष महत्व है. बरसात के मौसम में पाचन क्रिया धीमी हो जाती है, इसलिए वे जून मध्य से दीपावली तक करीब चार महीने केवल एक ही बार भोजन करते हैं. नवरात्रि में वे पूरे नौ दिन व्रत रखते हैं और इस दौरान सिर्फ गरम पानी पीते हैं. उनका कहना है कि वे रोजमर्रा की जिंदगी में भी गरम पानी ही पीते हैं. उन्होंने आगे बताया कि चैत्र नवरात्रि में वे नौ दिन तक सिर्फ एक ही फल खाते हैं. उदाहरण के तौर पर, यदि उन्होंने पपीता चुना तो वे पूरे नौ दिन तक केवल पपीता ही ग्रहण करते हैं और वह भी दिन में एक ही बार. यह क्रम वे पिछले 50-55 वर्षों से निभा रहे हैं.
पीएम ने बताया उपवास का असली अर्थ
प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि उपवास का मतलब केवल भोजन छोड़ना नहीं है. अगर किसी को कठिनाई की वजह से खाना नहीं मिलता तो उसे उपवास नहीं कहा जा सकता. यह एक वैज्ञानिक और आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसमें शरीर और मन दोनों की साधना होती है. पीएम मोदी ने बताया कि लंबे उपवास के लिए वे पहले से खुद को तैयार करते हैं. उपवास शुरू होने से पांच से सात दिन पहले योग, आयुर्वेद और पारंपरिक पद्धतियों को अपनाते हैं. इस दौरान वे अधिक पानी पीते हैं, जिससे शरीर डिटॉक्स होकर उपवास की अवस्था को सहजता से स्वीकार करता है.
उपवास समर्पण और अनुशासन की साधना
प्रधानमंत्री के अनुसार, उनके लिए उपवास समर्पण और अनुशासन का प्रतीक है. चाहे वे किसी भी जिम्मेदारी में व्यस्त हों, उपवास के समय उनका ध्यान भीतर की ओर केंद्रित रहता है. उनका कहना है कि वे न किताबों, न पारिवारिक कारणों और न ही परंपरा की वजह से उपवास रखते हैं, बल्कि यह उनका आत्मानुभव है जिसकी वजह से वे नवरात्रि और बाकि अन्य उपवास को रखते हैं.
पहले उपवास से आए जीवन में बदलाव
मोदी जी ने अपने पहले उपवास का अनुभव साझा करते हुए कहा कि छात्र जीवन में गोरक्षा आंदोलन के दौरान उन्होंने सार्वजनिक उपवास कार्यक्रम में हिस्सा लिया. उस समय उन्हें नई ऊर्जा और चेतना का अनुभव हुआ. तभी उन्होंने समझा कि उपवास सिर्फ खाने-पीने से जुड़ा विषय नहीं है, बल्कि यह जीवन गढ़ने की एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है. इसी सोच ने उनकी जीवन यात्रा को गहराई से प्रभावित किया.
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उपवास से इंद्रियों में ताकत बढ़ती है
पीएम मोदी के अनुसार, उपवास से इंद्रियों की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है. स्वाद, गंध और देखने की शक्ति अधिक प्रखर हो जाती है. किसी चाय की खुशबू भी दूर से महसूस की जा सकती है. विचारों में नयापन आता है और व्यक्ति आउट ऑफ बॉक्स सोचने लगता है. उनके अनुसार, उपवास जीवन में आंतरिक और बाहरी दोनों स्तरों पर अनुशासन को मजबूत करता है और यही उसे खास बनाता है.
उपवास के बीच निभानी होती है जिम्मेदारियां
प्रधानमंत्री ने बताया कि वे उपवास के दौरान भी अपनी सभी जिम्मेदारियां पूरी तरह निभाते हैं. उन्होंने एक किस्सा साझा किया कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ बैठक के समय डिनर रखा गया था. जब ओबामा को पता चला कि वे उपवास पर हैं और सिर्फ गरम पानी लेते हैं तो वे हैरान हुए. मोदी ने मजाक में कहा कि “मेरा डिनर आ गया है.” अगली मुलाकात में ओबामा ने मुस्कुराते हुए कहा कि इस बार लंच में आपको दोगुना खाना पड़ेगा.
