Ayodhya Dharma Dhwaj ceremony: देशभर में 25 नवंबर को मनाई जाने वाली विवाह पंचमी इस बार अयोध्या के लिए अत्यंत विशेष साबित होने जा रही है. भगवान राम की नगरी में इसी दिन राम मंदिर के शिखर पर केसरिया धर्म ध्वज फहराया जाएगा, जिसके लिए देश-दुनिया की निगाहें अयोध्या पर टिकी हुई हैं. हिंदू परंपराओं में मंदिरों पर ध्वज फहराने की परंपरा अत्यंत प्राचीन मानी जाती है और गरुड़ पुराण के अनुसार मंदिर पर लगा ध्वज देवता की उपस्थिति और उस दिशा की पवित्रता का प्रतीक माना जाता है.
राम मंदिर पर फहरने वाला यह ध्वज न केवल भगवान राम के प्रति गहरी भक्ति का प्रतीक होगा, बल्कि अयोध्या की सूर्यवंशी परंपरा और रघुकुल की गौरवमयी विरासत को भी दर्शाएगा. रामायण और रामचरितमानस में ध्वज और पताकाओं का वर्णन सदैव वैभव और दिव्यता से भरा हुआ मिलता है, और अब जब मंदिर पूर्णता की ओर है, तो यह धर्म ध्वज रामराज्य की पुनर्स्थापना का संदेश दुनिया तक पहुंचाएगा.
ध्यज का केसरिया रंग सनातन परंपरा का अभिन्न हिस्सा
ध्वज का केसरिया रंग त्याग, पराक्रम, समर्पण और आध्यात्मिक बल का प्रतीक माना गया है जो सदियों से सनातन परंपरा का अभिन्न हिस्सा रहा है. ध्वज पर अंकित ‘ऊं’ और कोविदार वृक्ष के चिन्ह इसे और अधिक पवित्र बनाते हैं. कोविदार, जिसे ग्रंथों में पारिजात और मंदार का दिव्य रूप कहा गया है, सूर्यवंश के ध्वजों पर सदियों से अंकित होता आया है. यही चिन्ह भरत के ध्वज पर भी वर्णित मिलता है. ‘ऊं’ की छवि संपूर्ण सृष्टि और सभी मंत्रों के मूल स्वर का प्रतिनिधित्व करती है, जिससे यह धर्म ध्वज आध्यात्मिक शक्ति का केंद्र बन जाता है.
दुल्हन की तरह सजी श्रीराम की अयोध्या नगरी
अयोध्या इन दिनों दुल्हन की तरह सजाई गई है और 20 नवंबर से ही धार्मिक अनुष्ठानों, शोभायात्राओं, दीप सज्जा, संकीर्तन और राम-सीता विवाह की झांकियों ने पूरे शहर को उत्सव के अपार उल्लास से भर दिया है. ध्वजारोहण का शुभ मुहूर्त 25 नवंबर को अभिजीत काल में 11:47 से 12:29 के बीच निर्धारित किया गया है. इसी काल में भगवान राम का जन्म भी हुआ माना जाता है, इसलिए यह समय विशेष शुभ माना गया है.
ध्वज स्थापना का चयन केवल परंपरा नहीं बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी अत्यंत अनुकूल है. इस दिन सूर्य और मंगल वृश्चिक राशि में युति बना रहे हैं, जो शक्ति, साहस और विजय का संकेत देता है. शुक्र अपनी स्वराशि तुला में और गुरु अपनी उच्च राशि कर्क में स्थित रहेंगे, जिससे यह दिन सौभाग्य, समृद्धि और दिव्य ऊर्जा से भरपूर माना जा रहा है. उल्लेखनीय है कि कर्क लग्न ही भगवान राम की जन्म लग्न मानी जाती है, जिससे इस दिन की शुभता और बढ़ जाती है.
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विवाह पंचमी के दिन हुआ था राम और सीता का विवाह
विवाह पंचमी स्वयं में पवित्रता, सौभाग्य और आदर्श दांपत्य की प्रतीक तिथि है क्योंकि इसी दिन त्रेतायुग में राम और सीता का विवाह हुआ था. ऐसे दिव्य दिन पर राम मंदिर पर धर्म ध्वज का आरोहण पूरे आयोजन को आध्यात्मिक ऊंचाई प्रदान करेगा. यह कार्यक्रम मात्र ध्वज फहराने का नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा, सनातन परंपरा और सदियों की प्रतीक्षा के पूर्ण होने का अद्वितीय क्षण है. जब राम मंदिर के शिखर पर धर्म ध्वज लहराएगा, तब यह पल इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हो जाएगा और दुनिया को संदेश मिलेगा कि अयोध्या में रामराज्य का युग पुनः स्थापित हो चुका है.
