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Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि 2025 आज से शुरू, जानिए खरीदारी का शुभ मुहूर्त और मां दुर्गा की पूजा विधि

Shardiya Navratri 2025 puja vidhi and shubh muhurat

नवरात्रि में खरीदारी और दुर्गा पूजा

Navratri 2025 Update: मां दुर्गा की आराधना के लिए सबसे बड़ा पर्व शारदीय नवरात्रि आज यानी 22 सितंबर से शुरू हो गया है. हिंदू धर्म में इन 9 दिनों को बहुत ही शुभ माना जाता है. इस समय खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्तों का होना भी अत्यंत महत्वपूर्ण और फलदायी माना जाता है.

इस साल 2025 में नवरात्रि के दौरान कई ऐसे शुभ योग बन रहे हैं जिनमें खरीदारी की जा सकती है. मान्यताओं के अनुसार रवि योग को सबसे शुभ माना जाता है. इस योग में की गई खरीदारी लाभकारी और सिद्ध होती है.

रवि योग को क्यों माना जाता है शुभ?

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार रवि योग इसलिए शुभ माना जाता है क्योंकि यह योग तब बनता है जब चंद्रमा का नक्षत्र सूर्य के नक्षत्र से चौथे, छठे, नौवें, दसवें या तेरहवें स्थान पर होता है. इस योग में की गई खरीदारी या शुभ कार्य बेहद फलदायी माने जाते हैं. रवि योग में वाहन, चांदी, सोना और भूमि की खरीदारी विशेष रूप से शुभ मानी जाती है. ऐसी खरीदारी परिवार में सुख-समृद्धि लेकर आती है.

रवि योग के शुभ मुहूर्त

साल 2025 में नवरात्रि के दौरान सात दिनों तक रवि योग रहेगा. इस योग में की गई खरीदारी फलदायी होगी.

पहला दिन: 24 सितंबर बुधवार शाम 4 बजकर 16 मिनट से 25 सितंबर सुबह 6 बजकर 11 मिनट तक.

दूसरा दिन: 25 सितंबर गुरुवार सुबह 6 बजकर 11 मिनट से शाम 7 बजकर 9 मिनट तक.

तीसरा दिन: 26 सितंबर शुक्रवार रात 10 बजकर 9 मिनट से 27 सितंबर सुबह 6 बजकर 12 मिनट तक.

चौथा दिन: 27 सितंबर शनिवार सुबह 6 बजकर 12 मिनट से सुबह 7 बजकर 15 मिनट तक.

पांचवां दिन: 28 सितंबर रविवार रात 1 बजकर 8 मिनट से सुबह 6 बजकर 12 मिनट तक.

छठवां दिन: 28 सितंबर सुबह 6 बजकर 12 मिनट से 29 सितंबर सोमवार रात 3 बजकर 55 मिनट तक.

सातवां दिन: 1 अक्टूबर बुधवार सुबह 8 बजकर 6 मिनट से 2 अक्टूबर सुबह 6 बजकर 15 मिनट तक.

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नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा विधि

शारदीय नवरात्रि का पहला दिन कलश स्थापना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. परंपरा के अनुसार, सबसे पहले एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर मिट्टी का पात्र रखा जाता है, जिसमें जौ बोए जाते हैं. इसके बाद गंगाजल से भरे कलश में सुपारी, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्के डालकर उसके मुख पर आम के पत्ते सजाए जाते हैं और ऊपर नारियल स्थापित किया जाता है. यह कलश जौ वाले पात्र के ऊपर रखा जाता है. इसी के साथ देवी दुर्गा का आह्वान कर नौ दिनों तक विधि-विधान से उनकी पूजा की जाती है.

कई श्रद्धालु इस दौरान नौ दिनों तक व्रत का पालन करते हैं और प्रतिदिन सुबह-शाम आरती कर माता को प्रसन्न करते हैं. वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष नवरात्रि की घटस्थापना 22 सितंबर को प्रातः 6 बजकर 9 मिनट से 8 बजकर 6 मिनट के बीच करना शुभ रहेगा. इसके अतिरिक्त, अभिजीत मुहूर्त यानी 11 बजकर 49 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक भी कलश स्थापना की जा सकती है.

(डिस्क्लेमर: यह खबर धार्मिक मान्यताओं, ज्योतिष शास्त्र और पंचांग आधारित जानकारी पर लिखी गई है. इसका उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी देना है. विस्तार न्यूज किसी भी ज्योतिषीय दावे की पुष्टि नहीं करता है.)

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