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Som Pradosh Vrat 2025: कब है सोम प्रदोष व्रत 17 या 18 नवंबर? मार्गशीर्ष में बन रहा दुर्लभ शुभ योग

Som Pradosh Vrat November 2025 shiv puja muhurat

भगवान शिव सांकेतिक तस्‍वीर

Shiva Pradosh Vrat kab hai: शिव पुराण में प्रदोष तिथि को भगवान महादेव की अत्यंत प्रिय तिथि बताया गया है. मान्यता है कि इस दिन श्रद्धा और पवित्र भावना से की गई शिव आराधना साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी करती है. इस बार मार्गशीर्ष माह का प्रथम प्रदोष सोमवार को पड़ रहा है, जिससे इसका महत्व कई गुना बढ़ गया है. शिव का प्रिय दिन सोमवार जब प्रदोष तिथि से जुड़ जाता है, तब यह शुभ योग दुर्लभ और अत्यंत प्रभावी माना जाता है. इसी कारण इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है. इस दिन किए गए रुद्राभिषेक, मंत्र-जप और प्रदोष स्तोत्र का पाठ विशेष पुण्यदायी माना गया है.

जानिए कब है सोम प्रदोश व्रत?

इस वर्ष प्रदोष के साथ अभिजीत मुहूर्त का शक्तिशाली संयोग भी बन रहा है. ऐसा माना जाता है कि अभिजीत मुहूर्त में किया गया कोई भी संकल्प, जप या पूजा शीघ्र फल प्रदान करती है. पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 17 नवंबर को सुबह 4:46 बजे शुरू होकर 18 नवंबर की सुबह 7:11 बजे तक रहेगी. उदया तिथि के आधार पर व्रत 17 नवंबर को रखा जाएगा. प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद करीब डेढ़ घंटे तक माना जाता है और इसी अवधि में शिव पूजा श्रेष्ठ मानी गई है. इस बार अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:45 से 12:27 बजे तक रहेगा, जिसे अत्यंत फलप्रद माना गया है.

ऐसे करें प्रदोष व्रत में भगवान की पूजा

सोम प्रदोष व्रत को चंद्र दोष से मुक्ति, संतान प्राप्ति, वैवाहिक सुख और अच्छे जीवनसाथी के लिए अत्यंत शुभ बताया गया है. मान्यता है कि यह व्रत साधक को अष्ट सिद्धि और नव निधियों का आशीर्वाद भी दिलाता है. त्रयोदशी जब सोमवार को पड़ती है, तो उसका महत्व और भी बढ़ जाता है. इस वर्ष का अंतिम सोम प्रदोष व्रत 17 नवंबर 2025 को पड़ रहा है. विवाह में बाधाओं से जूझ रहे लोगों के लिए इस दिन कुछ विशेष उपाय भी अत्यंत लाभकारी माने गए हैं.

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प्रदोष के दिन फलाहार व्रत रखकर शिवलिंग पर अक्षत और शमी का पुष्प चढ़ाने से प्रेम विवाह के रास्ते सरल होते हैं. 108 बेलपत्रों पर चंदन से ‘श्रीराम’ लिखकर शिव को अर्पित करने से विवाह में आ रही देरी दूर होती है. वहीं माता पार्वती को सोलह श्रृंगार अर्पित कर गरीबों को अन्न, फल या वस्त्र दान करने से ग्रहों की अशुभता कम होकर शुभ फल प्राप्त होते हैं.

(डिस्क्लेमर: यह खबर धार्मिक मान्यताओं, ज्योतिष शास्त्र और पंचांग आधारित जानकारी पर लिखी गई है. इसका उद्देश्य केवल सामान्य जानकारी देना है. विस्तार न्यूज किसी भी ज्योतिषीय दावे की पुष्टि नहीं करता है.)

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