Vijayraghavgarh Navratri 2025: मध्य प्रदेश के मैहर का मां शारदा का मंदिर पूरे देश में प्रसिद्ध है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मैहर में विराजने वाली मां शारदा की बड़ी बहन भी हैं. जी हां, विजयराघवगढ़ में माता शारदा की बड़ी बहन का मंदिर बना हुआ है. उनकी मान्यता भी मैहर के शारदा मंदिर की ही तरह है. नवरात्रि के अवसर पर दूर-दूर से श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां माता के दर्शन करने पहुंचते हैं.
200 साल पुराना है मां शारदा का मंदिर
कटनी जिले के विजयराघवगढ़ में मां शारदा की बड़ी बहन विराजित हैं. इस मंदिर का निर्माण विजयराघवगढ़ के राजा प्रयाग दास ने आज से करीब 200 साल पहले कराया था. बताया जाता है कि साल 1826 में राजा प्रयाग दास अपने साथ माता शारदा की मूर्ति लेकर आए थे. उन्होंने यहां आकर विजयराघवगढ़ किले और माता के मंदिर का निर्माण कराया था.
ये मंदिर से कुछ दूरी पर पहाड़ी पर स्थित है. इस मंदिर में स्थापित मां शारदा के मां सरस्वती का स्वरूप माना जाता है. इस मंदिर की मान्यता भी मैहर में विराजित मां शारदा की तरह है. माता के दरबार में लोग अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं और मान्यता पूरी होने पर आभार व्यक्त करने के लिए परिवार सहित पहुंचकर कन्या भोज व भंडारे कराते हैं.
काले पत्थर की गणेश प्रतिमा विराजमान
महाराजा प्रयागदास ने मंदिर के साथ-साथ नगर में कुएं, बावड़ी, तालाब, पंचमठा मंदिर और बगीचों का भी निर्माण कराया था. नगर का सुंदर बाग, भरत बाग, राम बाग अखाड़ा, राम जानकी मंदिर, चारों धाम की मूर्तियां, राजा का किला आदि मंदिर के आस-पास का मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं. वहीं धाम में विराजित भगवान गणेश के काले पत्थर से बनी प्रतिमा पूरे प्रदेश में इकलौती मानी जाती है.
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1984 में मंदिर का हुआ था जीर्णोद्धार
आजादी की क्रांति के दौरान अंग्रेजों ने विजयराघवगढ़ के किले के साथ ही मां शारदा के मंदिर को क्षति पहुंचाई थी. इसके बाद साल 1984 में एक बार फिर से मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया था. जिसके बाद मैहर माता मंदिर के पुजारी देवी प्रसाद ने विजयराघवगढ़ पहुंचकर पूजा अर्चना किया था.
विजयराघवगढ़ में लगभग 200 सालों से मां शारदा मंदिर लोगों की आस्था का केन्द्र बनाया हुआ है, तो वहीं आस-पास के लोग भी यहां दर्शन करने पहुंचते हैं. शारदेय व चैत्र नवरात्र पर यहां नौ दिनों तक मेले का आयोजन भी होता है.
