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क्यों हिंदुओं के लिए खास है Mauni Amavasya, जानें स्नान-व्रत और पूजा की विधि

Mauni Amavasya 2025

मौनी अमावस्या का हिन्दू धर्म में काफी महत्व

Mauni Amavasya 2025: आज यानी 29 जनवरी को देश भर में मौनी अमावस्या मनाई जा रही है. मौनी अमावस्या का हिन्दू धर्म में काफी महत्व होता है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, मौन को आत्मिक शांति और ऊर्जा का स्रोत माना गया है. ये आज से नहीं बल्कि वैदिक काल से ही में ऋषि-मुनि अपने तप और साधना में मौन रहा करते थे. मौन केवल वाणी का त्याग नहीं है, बल्कि यह मन और आत्मा की गहराई तक शुद्धता प्राप्त करने का माध्यम है. आज मौनी अमावस्या पर चलिए जानते हैं इसके महत्त्व के बारे में, साथ ही इसके स्नान-व्रत और पूजा की विधि भी…

हिंदू धर्म में मौन का महत्व

हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का बहुत महत्त्व है. क्योंकि इस दिन लोग मौन रह कर व्रत करते हैं. वैदिक काल में ऋषि-मुनि मौन रह कर तपस्या किया करते थे. जिससे उन्हें शांति और एकाग्रता मिलता था. उनका विश्वास था कि मौन रहने से मन स्थिर होता है और विचारों की उथल-पुथल शांत हो जाती है. मौन के माध्यम से आत्मा और ब्रह्मांड के बीच सीधा संवाद स्थापित होता है. इसके अलावा मौन वाणी से होने वाले पापों, झूठ और विवादों से बचने का मार्ग भी है. वेदों और उपनिषदों में मौन को ब्रह्मचर्य, सत्य और संयम के साथ जोड़कर देखा गया है.

मौन व्रत कब से कब तक करें

पंडित सुजीत जी महाराज के अनुसार मौनी अमावस्या पर मौन व्रत स्नान करने तक भी रखा जा सकता है. यदि आप चाहें तो किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए पूरे दिन भी मौन व्रत धारण कर सकते हैं. अगर दिन भर मौन व्रत रह रहे हैं तो सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक मौन व्रत रहें. व्रत का समापन शाम के समय में भगवान विष्णु या शिव के पूजन और आरती के बाद करें.

मौन व्रत रखने की विधि

मौनी अमावस्या पर अगर आप मौन व्रत करना चाहते हैं कि तो कम से कम स्नान करने तक मौन रहे. स्नान करते समय मौन रहकर मन ही मन भगवान का ध्यान करें. यदि किसी विशेष मनोकामनाओं के लिए मौन व्रत रखना चाहिए. सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके दिन भर मौन रहने का संकल्प लें. किसी भी प्रकार की बातचीत से बचें.

अगर किसी कारण बोलने की जरूरत हो तो आप इशारों और लिखित रूप से अपनी बात दूसरे को समझाएं. इस दिन तामसिक भोजन (मांस-मदिरा) का सेवन भूलकर भी न करें. मन में नकारात्मक विचार न आने दें. मौन व्रत के दौरान ध्यान, योग और जप पर ध्यान केंद्रित करें.

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स्नान की विधि

आज जल्दी उठ कर शुद्ध पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें. आप जिन भी देवी-देवता या भगवान को मानते हैं उनका ध्यान करें. फिर सूर्य देव को तिल या लाल चंदन जल में मिलाकर अर्घ्य दें. इसके बाद, सूर्य मंत्रों का जाप करें. सूर्य मंत्र या फिर सूर्य देव के 12 नामों का जाप करें. घर के आसपास किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल या दूध अर्पित करें. शिव जी के ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें.

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