UP Politics: मनोज पांडेय ने राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग व मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी से दूरी बना ली थी.
लगातार सात चुनाव में मिली जीत के बाद पिछली बार भाजपा से कन्नौज को गंवाने वाली सपा फिर से इसे वापस हासिल करने की जुगत में है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस सीट से खुद ही चुनावी मैदान में उतरे हैं.
2019 के लोकसभा चुनाव में दिनेश प्रताप सिंह ने रायबरेली से सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. हालांकि, वह कांग्रेस के गढ़ में लगभग 1.6 लाख वोटों के अंतर से हार गए.
कई मौके पर सपा प्रत्याशी अफजाल अंसारी की बेटी सपा महिला मोर्चा के साथ महिलाओं से अपने पिता के पक्ष में वोट करने की अपील करती नजर आईं.
आदित्य ने कहा, "यह संभव है कि वे (भाजपा) AI(आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) का उपयोग करके मेरे अश्लील वीडियो जारी कर सकते हैं." यादव ने आगे दावा किया कि सपा बदायूं लोकसभा क्षेत्र से आसानी से चुनाव जीत जाएगी, जिससे भाजपा निराश है.
2014 के बाद से उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी राष्ट्रवाद और हिंदुत्व विषय को बढ़ावा मिला और इसके साथ ही यादवों की वर्चस्व वाली राजनीति को तगड़ा झटका भी लगा. हालांकि, समाजवादी पार्टी पर अब तक यादव परस्त पार्टी होने का आरोप लगता रहा है.
विपक्ष द्वारा भी कैसरगंज लोकसभा सीट पर प्रत्याशी न उतरे जाने के प्रश्न का जवाब देते हुए सांसद ने कहा कि कैसरगंज ही नहीं रायबरेली में भी किसी पार्टी ने अपना कैंडिडेट अभी तक नहीं दिया है. तो हो सकता है कि एक दूसरे को पार्टियां वाच कर रही हों कि कौन आता है तो उसी के अनुरूप कैंडिडेट दिया जाए.
इन सबके अलावा समाजवादी पार्टी ने एक्स पोस्ट कर दावा किया कि, "UP में पहले फेज की सभी आठ सीटों पर इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार जीतेंगे."
यूपी में पहले चरण में 1.44 करोड़ से ज्यादा मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. चुनाव आयोग ने 14,845 मतदान स्थलों में से 3571 पोलिंग बूथों को संवेदनशील की श्रेणी में रखा है.
मलूक नागर ने कहा, "पिछले 39 सालों में यह पहली बार है कि मैं न तो एमपी का चुनाव लड़ रहा हूं और न ही एमएलए का, लेकिन मैं देश के लिए काम करना चाहता हूं, इसलिए आज मैंने बीएसपी छोड़ने का फैसला किया है."