Doda cloudburst: जम्मू के डोडा में कई जगह बादल फटने से 10 से ज्यादा घर बह गए. इस दौरान 4 लोगों की मौत हो गई. अचानक कई जगह बादल फटने से डोडा में बाढ़ आ गई. जिसमें कई घर गिर गए. वहीं बाढ़ के कारण पैदल चलने वाले कई पुल भी बह गए.
बादल फटने के कारण आई बाढ़ के कारण वैष्णो देवी की यात्रा भी रोक दी गई है. इसके अलावा राज्य में कई सड़क मार्ग और रेल सेवाएं बंद कर दी गई हैं.
राहत और बचाव कार्य जारी
बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत और बचाव का काम जारी है. हालांकि मौसम विभाग ने शाम तक भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है. ऐसे में राहत और बचाव काम करने में दिक्कत हो रही है. बाढ़ और बारिश के कारण कई घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जबकि कई लोग अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर हैं.
जम्मू-श्रीनगर और बटोटे-किश्तवाड़ समेत कई हाईवे बंद
बाढ़ के कारण जम्मू-श्रीनगर और बटोटे-किश्तवाड़ समेत कई हाईवे बंद कर दिए गए हैं. इसके कारण वाहनों की आवाजाही भी रोक दी गई है. प्रशासन बाढ़ प्रभावित इलाकों को खाली करवा रहा है. स्थानीय लोगों की कमाई गई संपत्ति पूरी तरह नष्ट हो गई है. इसके कारण लोग बर्बाद हो गए हैं. फिलहाल प्रशासन का राहत और बचाव काम जारी है.
किश्तवाड़ में बादल फटने से 60 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी
इसके पहले किश्तवाड़ जिले में 14 अगस्त को बादल फटने से भारी तबाही हुई थी. इसमें 60 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और जबकि 200 लोग लापता हैं. बाढ़ प्रभावित इलाकों कई श्रद्धालु, घर, दुकानें, बसें सब बह गई थीं. किश्तवाड़ में बादल फटने के कारण तबाही का मंजर दिखा था.
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कैसे फटता है बादल?
बादल फटने के दौरान बहुत कम समय में एक छोटे से क्षेत्र में भारी बारिश होती है. अगर एक घंटे में 100 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश, वह भी 1-2 किलोमीटर के दायरे में हो, तो इसे बादल फटना कहते हैं. आसान शब्दों में, यह ऐसा है जैसे आसमान से एक टब पानी एकदम से उड़ेल दिया जाए. इससे अचानक बाढ़, भूस्खलन और भारी तबाही होती है.
पहाड़ों में क्यों फटते हैं बादल?
पहाड़ी इलाकों में बादल फटने की घटनाएं ज्यादा होती हैं. बादल फटने का मुख्य कारण नमी से भरे भारी बादल हैं. जब ये बादल पहाड़ों या ठंडी हवा वाले क्षेत्र से टकराते हैं, तो उनमें मौजूद नमी तेजी से पानी की बूंदों में बदल जाती है. यह मूसलाधार बारिश का कारण बनती है. पहाड़ी इलाकों में हवा का प्रवाह और ऊंचाई इस प्रक्रिया को और तेज कर देती है.
जलवायु परिवर्तन का असर
जलवायु परिवर्तन के कारण बारिश का पैटर्न अनियमित हो गया है. ग्लोबल वॉर्मिंग से वातावरण में नमी की मात्रा बढ़ रही है, जिससे भारी बारिश और बादल फटने की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं. मानसून के महीनों (जून से सितंबर) में यह खतरा और बढ़ जाता है.
