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‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ या लोकतंत्र पर बड़ा खतरा? अखिलेश ने सरकार से किए कई तीखे सवाल

अखिलेश यादव

सपा प्रमुख अखिलेश यादव

One Nation One Election: भारत में चुनावी प्रक्रिया को लेकर इन दिनों एक नया विवाद छिड़ा हुआ है, ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’. यह विचार केंद्र सरकार की ओर से सामने आया है, जिसका उद्देश्य पूरे देश में एक ही समय पर लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराना है. हालांकि, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस योजना पर गंभीर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि क्या यह बिल देश की लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए खतरे की घंटी है? हालांकि, बीजेपी इसे संसद के बाद जेपीसी के सामने पेश करने की वकालत कर रही है ताकि सभी राजनीतिक दलों के साथ इस विषय पर विस्तृत चर्चा हो सके. आइये अखिलेश ने केंद्र सरकार से कौन- कौन से सवाल पूछे हैं विस्तार से जानते हैं:

क्या बीजेपी अपने सांगठनिक चुनाव एक साथ करेगी?

अखिलेश यादव ने पूछा कि क्या बीजेपी इस ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का पालन करने से पहले अपने पार्टी के सांगठनिक चुनाव भी एक साथ कराएगी? इसका मतलब यह है कि क्या बीजेपी यह दिखाएगी कि एक समय में कई चुनाव कराना संभव है, तभी यह प्रक्रिया अन्य चुनावों के लिए लागू होनी चाहिए.

क्या महंगाई और बेरोजगारी से ज्यादा जरूरी है ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’?

अखिलेश यादव ने यह सवाल भी उठाया कि क्या देश के सबसे बड़े मुद्दे – महंगाई, बेरोजगारी और स्वास्थ्य – से कहीं अधिक महत्वपूर्ण ‘एक देश, एक चुनाव’ है? इन मुद्दों से जनता की परेशानियां बढ़ रही हैं, लेकिन सरकार का ध्यान इस योजना पर क्यों केंद्रित है? यह सवाल उस समय उठाया जा रहा है जब जनता महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रही है.

लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर असर?

“वन नेशन, वन इलेक्शन” के पक्ष में कई तर्क दिए जा रहे हैं, लेकिन अखिलेश यादव का सवाल यह है कि क्या यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करेगा? एक ही समय में सभी चुनाव कराना, क्या इससे विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों की अलग-अलग समस्याओं और आवश्यकताओं की सही तरीके से सुनवाई नहीं होगी? क्या इससे केंद्र सरकार के हाथ में ज्यादा शक्ति नहीं आ जाएगी?

क्या सभी चुनाव एक साथ होंगे?

अखिलेश यादव ने एक और गंभीर सवाल उठाया कि अगर यह लागू होता है, तो क्या लोकसभा से लेकर ग्राम पंचायत तक सभी चुनाव एक साथ होंगे? क्या यह प्रक्रिया राज्यों और स्थानीय निकायों के लिए भी लागू होगी, या फिर यह सरकार की अपनी सुविधाओं और चुनावी राजनीति के हिसाब से तय किया जाएगा?

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राज्य सरकारों के गिरने पर क्या होगा?

अखिलेश ने यह भी पूछा कि अगर किसी राज्य सरकार को बीच में गिरा दिया जाता है, तो क्या पूरे देश में फिर से चुनाव होंगे? चुनावी प्रक्रिया में ऐसी स्थितियों का क्या प्रभाव होगा, जब किसी राज्य में सरकार बदलने के कारण चुनावों का समय बढ़ सकता है?

राष्ट्रपति शासन लागू होने पर क्या होगा?

कभी-कभी, किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है. ऐसे में अखिलेश यादव का सवाल है कि क्या उस राज्य की जनता को अपनी चुनी हुई सरकार की वापसी के लिए अगले सामान्य चुनावों तक इंतजार करना होगा, या फिर पूरे देश में चुनाव कराए जाएंगे?

संविधान में संशोधन की समय सीमा क्या होगी?

“वन नेशन, वन इलेक्शन” को लागू करने के लिए जो संविधानिक संशोधन किए जाएंगे, उनकी कोई समय सीमा निर्धारित की गई है या यह भी एक “जुमला” साबित होगा, जैसा महिला आरक्षण बिल के मामले में हुआ था?

चुनावों का निजीकरण – क्या यह एक साज़िश है?

अखिलेश यादव का अंतिम सवाल यह है कि क्या “वन नेशन, वन इलेक्शन” का उद्देश्य चुनावों को निजीकरण की ओर बढ़ाना है, ताकि चुनावी प्रक्रिया के परिणामों को सरकार अपनी सुविधानुसार बदल सके? क्या भविष्य में सरकार यह कहेगी कि इतने बड़े स्तर पर चुनाव कराना संभव नहीं है, और इसलिए चुनावी काम को ठेके पर दे दिया जाएगा?

क्या ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ सही है?

अखिलेश यादव के सवालों के आधार पर यह साफ है कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को लेकर कई गंभीर चिंताएं हैं. इसे लागू करने से पहले इन सवालों का सही तरीके से जवाब देना जरूरी होगा. क्या यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करेगा? क्या यह सत्ता को केंद्रीकरण की ओर ले जाएगा? इन सवालों का जवाब आने वाले समय में मिलेगा, लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट है कि इस योजना पर व्यापक चर्चा और विचार-विमर्श की आवश्यकता है. हालांकि, वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर बंपर तैयारी की है.

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