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जम्मू-कश्मीर में ‘परिवारवाद’ की नई लहर, अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार के नए चेहरों का चुनावी आगाज़

महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला: जम्मू-कश्मीर की राजनीति में दो प्रमुख परिवारों के दिग्गज

महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला: जम्मू-कश्मीर की राजनीति में दो प्रमुख परिवारों के दिग्गज

Jammu Kashmir Election: जम्मू-कश्मीर की राजनीति में परिवारवाद की परंपरा बहुत गहरी है. हाल ही में इस परंपरा का एक नया अध्याय खुला है. अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार की युवा पीढ़ी ने विधानसभा चुनावों में अपने कदम रख दिए हैं, जिससे राजनीतिक क्षितिज पर नया बदलाव देखने को मिल रहा है. नेशनल कांफ्रेंस (NC) के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला और उनके परिवार की राजनीतिक यात्रा एक लंबे समय से जारी है. फारूक अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला और उनके दोनों बेटे, जमीर और जाहिर, अब राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं.

उमर अब्दुल्ला का चुनावी अभियान

उमर अब्दुल्ला ने इस बार गांदरबल और बडगाम सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है. उमर के चुनावी अभियान में उनके बेटे जमीर और जाहिर की सक्रियता देखने को मिल रही है. हाल ही में हुए नामांकन की प्रक्रिया के दौरान भी, जब उमर ने गांदरबल और बडगाम में नामांकन पत्र भरा, उनके दोनों बेटे उनके साथ थे.

जमीर और जाहिर अभी राजनीति की प्रारंभिक चरण में हैं. वे अपने पिता के चुनावी अभियानों में भाग लेकर और स्थानीय लोगों से संवाद करके राजनीति की बारीकियों को समझने की कोशिश कर रहे हैं. उनके इस प्रयास से यह स्पष्ट होता है कि अब्दुल्ला परिवार की चौथी पीढ़ी भी जल्द ही जम्मू-कश्मीर की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है.

जमीर और जाहिर स्थानीय कस्बों और गांवों में जाकर लोगों से मिल रहे हैं और उनकी समस्याओं को समझने का प्रयास कर रहे हैं. वे अपने पिता के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं और पार्टी की नीतियों को लोगों तक पहुंचा रहे हैं.

मुफ्ती परिवार के तीसरी पीढ़ी का चुनावी चेहरा

मुफ्ती परिवार की राजनीति में भी एक नई पीढ़ी की एंट्री हुई है. पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सैयद की बेटी महबूबा मुफ्ती और उनकी पोती इल्तिजा मुफ्ती इस बार चुनावी मैदान में हैं. इल्तिजा मुफ्ती दक्षिण कश्मीर के बिजबिहारा सीट से चुनाव लड़ रही हैं. इल्तिजा अपनी मां महबूबा मुफ्ती के राजनीतिक करियर को आगे बढ़ाने का कार्यभार संभाला है. यह कदम खासतौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि महबूबा मुफ्ती ने अपनी बेटी को आगे लाने का निर्णय लिया है, जबकि खुद को पीछे रखा है.

इल्तिजा की उम्मीदवारी ने राजनीतिक विश्लेषकों को चकित कर दिया है. राजनीति को समझने वालों की मानें तो यह संकेत करता है कि मुफ्ती परिवार अपनी राजनीतिक धरोहर को आगे बढ़ाने के लिए युवा नेतृत्व को प्रोत्साहित कर रहा है. इल्तिजा अपने चुनावी अभियान में सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं और अपने मतदाताओं से सीधा संवाद कर रही हैं.

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जम्मू-कश्मीर की राजनीति में परिवारवाद

जम्मू-कश्मीर में परिवारवाद की परंपरा केवल नेशनल कांफ्रेंस और मुफ्ती परिवार तक ही सीमित नहीं है. पूर्व विधायक अली मोहम्मद सागर के बेटे सलमान सागर और पूर्व विधायक सादिक अली के बेटे तनवीर सादिक जैसे नाम भी इस परंपरा का हिस्सा हैं.

राजनीतिक दलों में परिवारवाद की इस परंपरा का प्रभाव साफ देखा जा सकता है. यह परंपरा यह दर्शाती है कि कैसे राजनीतिक परिवार अपनी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए नए चेहरों को मंच देते हैं. जम्मू-कश्मीर की राजनीति में यह परंपरा आने वाले समय में भी जारी रहने की संभावना है. हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि ये नए युवा नेता राजनीति के क्षेत्र में कितनी प्रभावी भूमिका निभाते हैं.

इस तरह, अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार की युवा पीढ़ी के चुनावी मैदान में उतरने से यह स्पष्ट होता है कि जम्मू-कश्मीर की राजनीति में पारंपरिक परिवारवाद की धारा जारी है, लेकिन साथ ही नए युवा नेतृत्व का उदय भी हो रहा है.

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