Rambhadracharya Statement on Reservation: जयपुर में कथा के दौरान जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है. उन्होंने कहा कि सरकारों को जातिगत आधार पर आरक्षण खत्म कर, उसे आर्थिक आधार पर लागू करना चाहिए. उनका मानना है कि यह बदलाव जल्द ही होगा. स्वामी रामभद्राचार्य ने यह भी कहा कि सवर्ण समाज में जन्म लेकर किसी ने कोई पाप नहीं किया है और यह बदलाव समाज के भले के लिए जरूरी है.
आर्थिक आधार पर आरक्षण की जरूरत: रामभद्राचार्य
रामभद्राचार्य ने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहा, “अगर एक सवर्ण समाज का बच्चा शत-प्रतिशत नंबर लेकर भी एक कठिन पेशे जैसे चार्टर्ड अकाउंटेंट में सफलता प्राप्त करता है, और वहीं एक अनुसूचित जाति (SC) का बच्चा केवल 4 प्रतिशत नंबर लेकर नौकरी पाता है, तो इसे समाप्त करना जरूरी है.” उन्होंने कहा कि जातिगत भेदभाव को समाप्त करने के लिए भारत में आर्थिक आधार पर आरक्षण की जरूरत है, और यह बदलाव जल्द ही देखने को मिलेगा. उन्होंने कहा कि अगर जातिगत आरक्षण समाप्त कर दिया जाएगा, तो समाज में जातिवाद से जुड़ा गृहयुद्ध अपने आप खत्म हो जाएगा.
स्वामी रामभद्राचार्य ने यह भी कहा, “हम सभी हिंदू हैं, हम सभी भारतीय हैं, और हमें जातिवाद से बाहर निकलकर एकजुट होना चाहिए.”
राजस्थान के मुख्यमंत्री को लेकर रामभद्राचार्य का दावा
इस दौरान, स्वामी रामभद्राचार्य ने राजस्थान के मुख्यमंत्री को लेकर भी एक चौंकाने वाला दावा किया. उन्होंने बताया कि जब राजस्थान में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चर्चा चल रही थी, तो उन्होंने कहा था कि राजस्थान का अगला मुख्यमंत्री एक ब्राह्मण होना चाहिए. इसके बाद, उन्होंने दावा किया कि यह विचार वसुंधरा राजे के मुंह से कहलवाया गया और इसी तरह राजस्थान को पहला ब्राह्मण मुख्यमंत्री मिला.
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हिंदू समाज और छुआछूत पर विचार
रामभद्राचार्य ने हिंदू समाज में छुआछूत की अवधारणा को नकारते हुए कहा कि ब्राह्मणों की पूजा करने की प्रक्रिया में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हिंदू समाज में कोई छुआछूत नहीं है, और सभी जातियों को समान सम्मान मिलना चाहिए. उनका यह भी कहना था कि जब 80 प्रतिशत लोग हिंदू समाज से जुड़ जाएंगे, तो समाज की कई समस्याएं अपने आप हल हो जाएंगी.
इसके अलावा, स्वामी रामभद्राचार्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ मजबूत करने की अपील भी की. उन्होंने कहा कि देश में प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों का समर्थन करना चाहिए, ताकि देश की प्रगति और समृद्धि हो सके. यह बयान समाज में जातिगत भेदभाव और आरक्षण प्रणाली के बारे में नए विचार और बहस को जन्म दे सकता है.