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शिवराज सिंह चौहान पर 10 करोड़ की मानहानि का मुकदमा; जानिए कांग्रेस सांसद ने क्यों लगाए हैं आरोप

Shivraj Singh Chauhan got a big relief from the Supreme Court in the defamation case.

मानहानि केस में सुप्रीम कोर्ट से केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह को राहत मिली है.

Defamation Case on Shivraj Singh Chauhan: केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को मानहानि केस में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्तिगत पेशी की छूट की अवधि को बढ़ा दिया है. साथ ही मामले में सुनवाई को 26 मार्च तक के लिए टाल दिया गया है. इसके पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मानहानि का केस रद्द करने से इनकार कर दिया था. जिसके खिलाफ केंद्रीय मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.

विस्तार से जानिए क्या है पूरा मामला

कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने आरोप लगाया था कि केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, मध्य प्रदेश के BJP अध्यक्ष वी.डी. शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने राजनीतिक लाभ के लिए उनके खिलाफ समन्वित, दुर्भावनापूर्ण, झूठा और मानहानिकारक अभियान चलाया. साथ ही मध्यप्रदेश में 2021 के पंचायत चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण का विरोध करने का आरोप लगाया. विवेक तन्खा ने अदालत में अपनी शिकायत में बताया था कि 2021 में मध्यप्रदेश में पंचायत चुनावों से पहले भाजपा नेताओं ने मानहानिकारक बयान दिए गए थे. जिसको लेकर कांग्रेस नेता ने 10 करोड़ का मानहानि का केस किया था.

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हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ SC में अपील

शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में मानहानि के केस को रद्द करने की अपील की थी. जिसको हाईकोर्ट ने 25 अक्टूबर 2024 को खारिज कर दिया था. हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शिवराज सिंह चौहान ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने शिवराज सिंह चौहान समेत तीनों भाजपा नेताओं के खिलाफ जारी वारंट पर रोक लगा दी थी. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 26 मार्च दी है.

शिवराज की तरफ से महेश जेठलानी ने की पैरवी

शिवराज सिंह चौहान की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने पैरवी की. वहीं कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अधिवक्ता सुमीर सोढ़ी ने पैरवी की. महेश जेठमलानी ने दलील दी थी कि ऐसा कभी नहीं सुना गया कि समन से जुड़े मामले में अदालत ने जमानती वारंट जारी किया, जिसमें पक्षकार अपने वकील के माध्यम से पेश हो सकते थे. उन्होंने जमानती वारंट की तामील पर रोक लगाने का अनुरोध किया था.

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