Sudha Murthy: इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति की पत्नी सुधा मूर्ति को राष्ट्रपति ने राज्यसभा के लिए मानोनीत किया है. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर यह उनके लिए एक बड़ा उपहार है. देश के लोगों के लिए काम करना उनके लिए एक नई जिम्मेदारी है. सुधा मूर्ति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा किया है. पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा, “मुझे खुशी है कि राष्ट्रपति ने सुधा मूर्ति जी को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है. राज्य सभा में उनकी उपस्थिति हमारी नारी शक्ति का एक प्रमाण है, जो हमारे देश की नियति को आकार देने में महिलाओं की ताकत और क्षमता का उदाहण है. उनके सफल संसदीय कार्यकाल की कामना करता हूं.
74वें गणतंत्र दिवस पर भारत सरकार ने पद्म पुरस्कारों के लिए जिन लोगों के नामों की घोषणा की, उसमें से एक सुधा मूर्ति हैं. उस दौरान उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. इसके अलावा उन्हें पद्मश्री पुरस्कार भी मिल चुका है. सुधा मूर्ति का नाम हाल के वर्षों में कई कारणों से सुर्खियों में रहा है. सुधा मूर्ति औद्योगिक जगत को बड़ा और सम्मानित नाम हैं. वह एक दमदार पारिवारिक परिवार से आती हैं, बावजूद इसके उनकी सादगी से लोग अधिक प्रभावित हैं.
कौन हैं सुधा मूर्ति ?
सुधा मूर्ति इंफोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष हैं. इसके अलावा वह एक प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और लेखिका हैं. सुधा मूर्ती अब तक आठ उपन्यास लिख चुकी हैं. साथ ही देश की सबसे बड़ी ऑटो निर्माता इंजीनियरिंग और लोकोमोटिव कंपनी टेल्को में काम करने वाली पहली महिला इंजीनियर भी हैं. सुधा मूर्ति ने अपने करियर की शुरुआत कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग से की थी. वह गेट्स फाउंडेशन की सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल पहल की सदस्य हैं.
सुधा मूर्ति के दामाद हैं ब्रिटेन के पीएम
सुधा मूर्ति के दो बच्चे हैं, बेटी अक्षता मूर्ति और बेटा रोहन मूर्ति. अक्षता नारायण मूर्ति ब्रिटेन में फैशन डिजाइनर हैं और यूके के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की पत्नी हैं. जबकि बेटा रोहन मूर्ति, मूर्ति क्लासिकल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया के साथ ही एक डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन स्टार्ट अप सोरोको के फाउंडर हैं.
मुख्यमंत्री ने किया था सम्मानित
उत्तरी कर्नाटक के शिगांव में 19 अगस्त 1950 को सुधा मूर्ति का जन्म हुआ था. उन्होंने बीवीबी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, हुबली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया. सुधा इंजीनियरिंग कॉलेज में 150 स्टूडेंट्स के बीच दाखिला पाने वाली पहली महिला थीं. जब वह क्लास में टॉप की तो कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने उन्हें पदक से सम्मानित किया. बाद में उन्होंने इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की.