Dark Patterns in Taxi Apps: भारत के बड़े-बड़े शहरों में टैक्सी ऐप की सुविधा उपलब्ध है, जिसमें Ola और Uber जैसे प्रमुख ऐप्स शामिल हैं, जो ऑटो-रिक्शा, बाइक और कारों के विकल्प प्रदान करते हैं. हाल ही में एक सर्वे सामने आया है, जिसमें यह बताया गया है कि टैक्सी एप ‘डार्क पैटर्न्स’ का इस्तेमाल कर रहे हैं. जिससे ग्राहक ऐप के इन चालाकियों से बहुत परेशान हैं.
टैक्सी ऐप्स पर ‘डार्क पैटर्न्स’ का आरोप
आज लोग अपनी सुविधा के लिए बस स्टॉप पर ऑटो या बस का इंतजार नहीं करते हैं. बल्कि वे आधुनिक परिवहन विकल्पों का उपयोग करते हैं. जैसे- कैब, ola, Uber, Rapido इन साधनों से लोग अपनी स्थानों तक कम समय में आसानी से पहुंच जाते हैं. लेकिन हाल ही में Local Circles सर्वे के अनुसार, ऐप टैक्सी पर ‘डार्क पैटर्न्स’ का आरोप लगाया जा रहा है. सर्वे में यह बात सामने आई है कि टैक्सी एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म्स (जैसे Ola, Uber आदि) पर यूजर्स को झांसा देना, जबरदस्ती कैंसल करवाना, बार-बार टोकना और ऐप के डिजाइन में हेर-फेर जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
वहीं सर्वे में यह बताया गया है कि 59 प्रतिशत ऐप टैक्सी यूजर्स को ‘ड्रिप प्राइसिंग’ का सामना करना पड़ रहा है. ग्राहक बताते हैं कि राइड खत्म होने के बाद बिल में ऐसे एक्स्ट्रा चार्ज जोड़ दिए जाते हैं जिनके बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं दी जाती है.
हिडन चार्ज वसूला गया
Local Circles सर्वे में बताया गया है कि टैक्सी ऐप ने ग्राहकों से हिडन तरीके से चार्ज वसूले हैं. जिसमें 28 प्रतिशत बहुत बार, 31 प्रतिशत कभी-कभी और 19 प्रतिशत संभवतः चार्ज वसूले गए हैं. वहीं इसके अलावा ग्राहकों का 55 प्रतिशत बहुत बार राइड कैंसल की गई है. 35 प्रतिशत कभी-कभी, 3 प्रतिशत संभवतः बताया गया है.
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धोखा और गलत मैसेज
वहीं ऐप ग्राहकों को ‘बेट एंड स्विच’ का भी धोखा दिया है. जिसमें 66 प्रतिशत बहुत बार, 20 प्रतिशत कभी-कभी, 4 प्रतिशत शायद ही कभी और सर्वे ने बताया 7 प्रतिशत कभी नहीं. धोखा के साथ-साथ ऐप ग्राहकों को बहुत बार गलत मैसेज भी भेज रहे हैं. ऐप ने 56 प्रतिशत बहुत बार गलत मैसेज भेजे, 22 प्रतिशत कभी-कभी, 11 प्रतिशत शायद ही कभी और 9 प्रतिशत कभी नहीं बताया गया है.
