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Digital Arrest के बढ़ते मामलों के बीच अगला नंबर कहीं आपका तो नहीं? जानें इससे बचने के तरीके

Digital Arrest

साइबर फ्रॉड का सबसे अपडेटेड वर्जन है Digital Arrest

Digital Arrest: दुनिया भर में साइबर ठगी के मामले बढ़ते जा रहे हैं. जिस तरह से 6 महीने में फोन के फीचर बदल जाते हैं वैसे ही साइबर ठगी का ट्रेंड भी बदल जाता है. हैकिंग से शुरू हुआ साइबर फ्रॉड अब डिजिटल अरेस्ट तक पहुंच गया है, जिसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसा नहीं है कि डिजिटल अरेस्ट के मामलों में केवल कम पढ़े-लिखे लोग फंस रहे हैं. बल्कि इसमें फंसने वालों की लिस्ट में पढ़े-लिखे और हायर मिडिल क्लास के लोग ज्यादा हैं. डिजिटल अरेस्ट कोरोना की तरह फैल रहा है. यह न तो वर्ग देख रहा है न धर्म.

डिजिटल अरेस्ट की बातें हर दफ्तर में हर घर के ड्रॉइंग रूम में हो रही हैं. मगर इसके बारे में लोगों को पूरी जानकारी ही नहीं है. जिस कारण इसे लेकर अवेर्नेस की कमी हो जाती है. साइबर एक्सपर्ट्स की मानें तो 10 में 8.5 लोग को ये पता ही नहीं है कि डिजिटल अरेस्ट है क्या? जिसमें पुलिस शख्स को हथकड़ी बांधकर पुलिस स्टेशन लेकर नहीं जाती है. तो चलिए आज जानते हैं कि आखिर डिजिटल अरेस्ट है क्या? इसे लेकर साइबर एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?

डिजिटल अरेस्ट है क्या?

इसे हम आम भाषा में साइबर फ्रॉड का सबसे अपडेटेड वर्जन मान सकते हैं. जिसके तहत आपको अरेस्ट किया जाता है, लेकिन इसमें न आपके हाथ में हथकड़ी होगी और न ही आप किसी जेल में बंद होंगे. आप जहां हैं वहीं एक फोन कॉल के जरिए आपको अरेस्ट किया जाता है या इसे और भी आसान भाषा में कहें तो आपको फोन के पीछे बैठा शख्स (फ्रॉडस्टर) अपने हाथ की कठपुतली बना लेता है.

साइबर फ्रॉड के इस अपडेटेड वर्जन में कॉल पीछे जो शख्स होता है वो आपको अरेस्ट का डर दिखाता है. इसमें आपको घर में ही कैद करके रखते हैं. ऐसे में फ्रॉडस्टर वीडियो कॉल के दौरान अपना बैकग्राउंड पुलिस स्टेशन की तरह बना लेते हैं. इसे देखकर विक्टिम डर जाता है और डर की वजह से उसकी बातों में आ जाते हैं. इसके बाद फ्रॉडस्टर जमानत की बातें कहकर आपके साथ स्कैम करना शुरू करता है.

फ्रॉडस्टर आपको अपना शिकार बनाने के लिए विक्टिम को वीडियो कॉल से हटने नहीं देते हैं. ना किसी से कॉन्टेक्ट करने देते हैं. विक्टिम को उसके घर में ही अरेस्ट कर दिया जाता है. विक्टिम को ये कहकर डराया जाता है कि उसके आधार कार्ड, सिम कार्ड, बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किसी गैरकानूनी काम के लिए हुआ है. या फिर उसके परिवार का सदस्य किसी गलत काम में फंसा है. जिसे बचाने के लिए आपको उसकी हर बात माननी पड़ती है. फ्रॉडस्टर आपको डराने-धमकाने का ‘गेम’ शुरू करता है. जिसमें फंस लोग लाखों करोड़ों गवा बैठ रहे हैं.इसमें न तो फोन के पीछे बैठा शख्स पुलिस वाला होता है, न उसकी किसी बातों में सच्चाई होती है और न ही आप या आपके करीबी किसी गलत काम में फंसे होते हैं. लेकिन फ्रॉडस्टर कुछ ही सेकंड में अपनी बातों से आपको अपने गिरफ्त में कर लेते हैं.

साइबर एक्सपर्ट से जानें इससे कैसे बचें

डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों को देखते हुए विस्तार न्यूज ने साइबर एक्सपर्ट संदीप पांडेय से बात की. डिजिटल अरेस्ट को लेकर साइबर एक्सपर्ट संदीप ने बताया कि इसमें सरकार को सामने आना चाहिए. जैसे पोलियो से बच्चों को बचने के लिए ‘अपने बच्चों को जरूर पिलाएं, दो बूंद जिंदगी की’, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, ‘एक कदम स्वच्छता की ओर’, जैसे स्लोगन की तरह ही सरकार को देश भर में मुहीम चलाने की जरुरत है. नहीं तो वह दिन दूर नहीं कि हर घर से साइबर फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट के मामले सामने आएंगे.

विस्तार न्यूज़ से बात करते हुए साइबर एक्सपर्ट संदीप पांडेय ने बताया कि ये हमारे समाज में एक दीमक की तरह है. जो समाज को खोखला कर रहा है. डिजिटल अरेस्ट में फंसाने वाले आपको या मुझे ज्यादा समय नहीं देते हैं. वह कुछ ही सेकंड में ऐसा जाल फेकते हैं कि लोग उसमें फंस जाते हैं. ऐसे में हमें इससे बचने के लिए सतर्क होने की जरुरत है. डिजिटल की दुनिया इतनी जल्दी आगे बढ़ रही है कि पता भी नहीं चलता कि या असली और क्या नकली है. और जब से डिजिटल की दुनिया में AI की एंट्री हुई है, तब से असली और नकली में फर्क कर पाना बहुत मुश्किल हो गया है. इसीलिए किसी भी अनजान नंबर से कॉल मैसेज या लिंक आए तो हमें हमेशा डाउट की नजर से उससे देखना चाहिए. क्योंकि जहां आप हर चीजों पर डाउट करना शुरू करेंगे वहीं से ऐसे मामले कम होने शुरू हो जाएंगे.

सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी- साइबर एक्सपर्ट

संदीप पांडेय ने आगे बात करते हुए कहा कि सरकार और प्रशासन को इसपर खासा ध्यान दें चाहिए. जैसे सरकार ने डिजिटल ट्रांजेक्शन को महत्त्व दिया वैसे ही साइबर फ्रॉड से जुड़े मामलों को लेकर भी सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाए. जिम्मेदारी का मतलब ये नहीं की एक साइबर नंबर 1930 जारी कर देना, या फिर मैसेज के द्वारा के जानकारी दे दी जाए. बल्कि सरकार को मुहीम चलानी चाहिए. इस तरह के डिजिटल अरेस्ट के लिए एक अलग सेल बनना चाहिए और उनके लिए अलग नंबर जारी करना चाहिए जो इस तरह के केसों को सॉल्व करने में एक्सपर्ट हों. सरकार को स्कूल और कॉलेज में सरकारी और निजी दफ्तरों में अपने वॉलेंटियर्स भेजने चाहिए जो ऐसे फ्रॉड को लेकर हमारे बीच पूरी विस्तृत जानकारी दे सकें.

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फ्रॉड होने पर कहां करें शिकायत

एक बात का ध्यान रखें कि पुलिस या कोई एजेंसी आपको कभी कॉल या धमकी नहीं देते हैं. इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी या पुलिस लीगल प्रोसेस के साथ कार्रवाई करती हैं. अगर आपको भी इस तरह की डराने-धमकाने वाले की कॉल आती है तो आप बिना डरे लोकल पुलिस स्टेशन या साइबर थाने जाएं और उसकी शिकायत दर्ज करवाएं. इसके साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर @cyberdost के जरिए भी अपनी शिकायत दर्ज करावा सकते हैं. इसके अलावा नेशनल साइबरक्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल कर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं.

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