UP News: देश में लोकसभा चुनाव अब खत्म होने वाला है. सिर्फ एक चरण का ही मतजान बचा है. इस बीच समाजवादी प्रमुख अखिलेश यादव को बड़ा झटका लगा है. दरअसल, मेरठ से सपा विधायक रफीक अंसारी(Rafiq Ansari) को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. रफीक अंसारी बाराबंकी से गिरफ्तार किए गए हैं. वह पिछले 26 सालों से अधिक समय से कानूनी तौर पर फरार घोषित थे. इस दौरान कोर्ट लगातार 101 गैर जमानती वारंट और कुर्की के आदेश जारी कर रही थी. कोई भी वारंट उन्हें तामील नहीं कराया पाया. रफीक इस मामले में कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था, लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी. साथ DGP से कहा कि वारंट तामील कराकर कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दाखिल करें.
बलवा-तोड़फोड़ और आगजनी का आरोप
दरअसल, यह मामला साल 1995 का है. 12 सितंबर 1995 को रफीक अंसारी और उनके साथ कई अन्य लोगों पर मेरठ के नौचंदी थाने में बलवा, तोड़फोड़ और आगजनी के आरोप में शिकायत दर्ज कराई गई थी. इसमें से 22 लोगों के खिलाफ पुलिस ने पहले ही आरोप पत्र दाखिल कर दिया. वहीं, रफीक अंसारी के खिलाफ बाद में संपूरक आरोप पत्र दाखिल किया गया. इसके बाद पुलिस ने पहली बार 8 दिसंबर 1997 को रफीक अंसारी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया, लेकिन वह हाजिर नहीं हुए. इसी दौरान 22 अभियुक्तों के खिलाफ 15 मई 1997 को विचारण पूरा हो गया और सभी को बरी कर दिया गया. लेकिन रफीक अंसारी के खिलाफ गैर जमानती वारंट और कुर्की का आदेश कोर्ट जारी करता रहा.
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इसी मुकदमे में अन्य 22 अभियुक्त बरी
वहीं रफीक अंसारी की ओर से कोर्ट में कहा गया कि इस मुकदमे में अन्य 22 अभियुक्त बरी हो चुके हैं, इसलिए उनके खिलाफ भी दर्ज मुकदमे की कार्रवाई को खत्म किया जाए. इस पर कोर्ट ने यह मांग यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि 22 अभियुक्तों की दोष मुक्ति का निर्णय, बिना ट्रायल चलाए और बिना उनके खिलाफ साक्ष्य की समीक्षा किए मुकदमे की कार्रवाई खत्म करने का आधार नहीं हो सकता है. इसके बाद हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए सपा विधायक रफीक अंसारी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने का आदेश पुलिस को दिया था. इसके बाद से ही सपा नेता रफीक अंसारी की मुश्किलें बढ़ गई थी. कोर्ट के आदेश पर मेरठ एसएसपी ने भी आरोपी सपा विधायक की गिरफ्तारी के लिए एक टीम का गठन किया था.