China Air Defense Complex: चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. तिब्बत में पैंगोंग झील के पूर्वी तट पर 2020 के गलवान संघर्ष वाली जगह से करीब 110 किलोमीटर दूर ड्रैगन एक अत्याधुनिक एयर डिफेंस कॉम्प्लेक्स बना रहा है. सैटेलाइट तस्वीरों ने इस गुप्त योजना का पर्दाफाश किया है. चीन का यह डिफेंस कॉम्प्लेक्स भारत के न्योमा हवाई अड्डे के ठीक सामने और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से 65 किलोमीटर की दूरी पर तैयार हो रहा है.
स्लाइडिंग छतों वाला हाईटेक इंफ्रास्ट्रक्चर
स्पेस इंटेलिजेंस एजेंसी वैनटोर की तस्वीरों में दिखा कि इस कॉम्प्लेक्स में स्लाइडिंग छतों वाले लॉन्चिंग पॉइंट्स हैं, जो इतने बड़े हैं कि एक साथ दो वाहन समा सकते हैं. सितंबर 2025 की तस्वीरों में कुछ छतें खुली दिखीं, जिससे संकेत मिलता है कि नीचे मिसाइल लॉन्चर मौजूद हो सकते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि ये लॉन्चर लंबी दूरी की HQ-9 सरफेस-टू-एयर मिसाइलों के लिए हैं, जो हवाई हमलों से बचाव के लिए बनाए गए हैं. यह सिस्टम न केवल छिपा हुआ है, बल्कि हमलों से भी सुरक्षित है.
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कमांड सेंटर से जुड़ा नेटवर्क
जियो इंटेलिजेंस फर्म ऑलसोर्स एनालिसिस की रिपोर्ट बताती है कि इस कॉम्प्लेक्स में वायर्ड डेटा कनेक्शन का ढांचा है, जो HQ-9 सिस्टम को इसके कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर से जोड़ता है. यह नेटवर्क इसे और भी घातक बनाता है, क्योंकि यह तेजी से और सटीक तरीके से हवाई खतरों का जवाब दे सकता है. निर्माण अभी भी जारी है, लेकिन इसकी ऑपरेशनल तैयारियां उन्नत स्तर पर पहुंच चुकी हैं.
भारत के लिए क्यों चिंता की बात?
यह कॉम्प्लेक्स भारत की सीमा के इतने करीब है कि यह क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकता है. गार काउंटी में बना यह इंफ्रास्ट्रक्चर भारत के हवाई क्षेत्र को निशाना बनाने की क्षमता रखता है. विशेषज्ञों का कहना है कि चीन का यह कदम क्षेत्र में तनाव बढ़ाने की कोशिश है. भारत को इस पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है, क्योंकि यह सैन्य संतुलन को प्रभावित कर सकता है. चीन की इस चाल का जवाब देने के लिए भारत को अपनी रक्षा तैयारियों को और मजबूत करना होगा.
