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‘हाथी और ड्रैगन का साथ आना जरूरी’, पीएम मोदी से बोले जिनपिंग, ट्रंप को दिया मैसेज

pm modi xi jinping meeting

पीएम मोदी शी जिनपिंग से मुलाकात

PM Modi In China: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में भारत और चीन के बीच हुई ऐतिहासिक मुलाकात ने वैश्विक सुर्खियां बटोरीं है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा, “हाथी और ड्रैगन का एक साथ आना जरूरी है’, जिसका मकसद न केवल द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना है, बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों को कड़ा जवाब देना भी है.

हाथी-ड्रैगन का साथ जरूरी: शी जिनपिंग

चीन के तिआनजिन में आयोजित SCO समिट के दौरान पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच सात साल बाद हुई द्विपक्षीय मुलाकात ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया. लगभग एक घंटे तक चली इस बैठक में दोनों नेताओं ने सीमा विवाद, द्विपक्षीय संबंधों, और वैश्विक आर्थिक स्थिरता जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा की. शी जिनपिंग ने इस दौरान कहा- ‘हाथी (भारत) और ड्रैगन (चीन) का एक साथ आना बेहद जरूरी है.’ यह बयान न केवल भारत-चीन संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है, बल्कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों के खिलाफ एक रणनीतिक संदेश भी माना जा रहा है.

ट्रंप की टैरिफ नीति पर निशाना

अमेरिका द्वारा भारत और चीन पर लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ ने दोनों देशों को एकजुट होने के लिए प्रेरित किया है. शी जिनपिंग ने अपनी टिप्पणी में कहा कि भारत और चीन, जो ग्लोबल साउथ के दो सबसे बड़े देश हैं, उनको मिलकर वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में स्थिरता लानी चाहिए. यह बयान ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति और उनके द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ के जवाब में देखा जा रहा है, जिसने भारत और चीन के निर्यात को प्रभावित किया है. दोनों नेताओं की ये मुलाकात ट्रंप के व्यापार युद्ध के खिलाफ एक रणनीतिक गठजोड़ का संकेत देती है.

सीमा विवाद और सहयोग पर जोर

पीएम मोदी ने बैठक में सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने हाल ही में विशेष प्रतिनिधियों के बीच हुए समझौते, कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली, और दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट्स शुरू होने का जिक्र किया. मोदी ने कहा कि भारत और चीन के बीच स्थिर और मैत्रीपूर्ण संबंध क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए महत्वपूर्ण हैं. शी जिनपिंग ने भी इस बात पर सहमति जताई कि दोनों देशों को रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से संबंधों को संभालना होगा.

वैश्विक मंच पर भारत-चीन की भूमिका

शी जिनपिंग ने इस मुलाकात में भारत और चीन को दो प्राचीन सभ्यताओं और सबसे अधिक जनसंख्या वाले देशों के रूप में उभारा, जो ग्लोबल साउथ का नेतृत्व कर सकते हैं. उन्होंने वैश्विक चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, और आर्थिक असंतुलन से निपटने के लिए दोनों देशों के सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया. पीएम मोदी ने भी इस बात को दोहराया कि भारत और चीन का एक साथ काम करना वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में स्थिरता लाने के लिए महत्वपूर्ण है.

ट्रंप को अप्रत्यक्ष चेतावनी

इस मुलाकात को अमेरिका के लिए एक अप्रत्यक्ष चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है. ट्रंप ने हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच कथित मध्यस्थता और भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए टैरिफ लगाने जैसे कदम उठाए हैं, जिससे भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव बढ़ा है. शी जिनपिंग का यह बयान और भारत-चीन की यह मुलाकात ट्रंप को यह संदेश देती है कि भारत और चीन मिलकर वैश्विक मंच पर एक मजबूत विकल्प बन सकते हैं.

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भविष्य की दिशा

यह मुलाकात भारत-चीन संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है. दोनों देशों ने सीमा पर शांति बनाए रखने और आर्थिक सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि ट्रंप की नीतियों ने भारत और चीन को एक-दूसरे के करीब लाने में अप्रत्यक्ष रूप से मदद की है. हालांकि, सीमा विवाद और आर्थिक प्रतिस्पर्धा जैसे मुद्दे अभी भी चुनौतियां बने हुए हैं, लेकिन दोनों नेताओं की यह मुलाकात सकारात्मक दिशा में एक कदम है.

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