Haryana Election: हरियाणा चुनाव में कांग्रेस के लिए सिरदर्द बनीं ये छोटी पार्टियां, हो सकता है बड़ा नुकसान

Haryana Assembly Election 2024: कांग्रेस और भाजपा के अलावा, इंडियन नेशनल लोक दल-बहुजन समाज पार्टी गठबंधन, जननायक जनता पार्टी-आज़ाद समाज पार्टी गठबंधन और आम आदमी पार्टी ने भी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं.
Haryana Assembly Election 2024

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024

Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा विधानसभा चुनावों में अब हफ्ते भर से भी कम का समय बचा है. चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने अपने घोषणापत्र जारी कर दिए हैं. वहीं, स्टार प्रचारक मैदान में उतर कर अपने प्रत्याशियों के लिए जोर-शोर से प्रचार कर रहे हैं. विधानसभा चुनाव से ठिक पहले हुए आम चुनावों में अपने प्रदर्शन से कांग्रेस उत्साहित है और 10 साल बाद राज्य की सत्ता में वापसी करने का दावा कर रही है. वहीं, भाजपा 10 साल की सत्ता-विरोधी लहर, किसान/पहलवान/अग्निवीर विरोधों का सामना कर रही है और उम्मीद कर रही है कि गुटबाजी और ‘अन्य’ कांग्रेस की राह में अड़चन डालेंगे.

कांग्रेस और भाजपा के अलावा, इंडियन नेशनल लोक दल-बहुजन समाज पार्टी गठबंधन, जननायक जनता पार्टी-आज़ाद समाज पार्टी गठबंधन और आम आदमी पार्टी ने भी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं. गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी जैसी छोटी पार्टियां भी चुनावी मैदान में हैं और कुछ सीटों पर प्रभाव डाल सकती हैं. छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं.

ये भी पढ़ें- Telangana: BJP विधायक राजा सिंह के घर की रेकी करते 2 संदिग्ध गिरफ्तार, बड़ी वारदात की आशंका

इस बार चुनावी मैंदान में 1,051 उम्मीदवार

2009 के चुनावों में 1,222 उम्मीदवार मैदान में थे, यानी प्रति सीट 13.6 उम्मीदवार. 2014 में यह बढ़कर 1,351 हो गया, यानी प्रति सीट 15 उम्मीदवार. 2019 में यह घटकर 1,169 हो गया, यानी प्रति सीट 13 उम्मीदवार. 2024 में, चुनाव आयोग के अनुसार, 1,051 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं, यानी प्रति सीट 11.7 उम्मीदवार. औसतन सात निर्दलीय और छोटे दलों के उम्मीदवार हर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.

2009 और 2014 में 61 सीटों पर दूसरे नंबर पर रहने वाले उम्मीदवारों ने जीत के अंतर से अधिक वोट हासिल किए थे. यह 2019 में घटकर 53 सीटें रह गई, लेकिन फिर भी यह विधानसभा का 60% हिस्सा था. अधिक संख्या में उम्मीदवार, कड़े मुकाबले और तीसरे स्थान पर रहने वाली पार्टी की निर्णायक भूमिका के कारण 2009 और 2019 के चुनावों में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनी.

2019 में कांग्रेस-बीजेपी के बीच 51 सीटों पर मुकाबला

2009 में, कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) के बीच 48 सीटों पर मुख्य मुकाबला था, जो विधानसभा की आधी से अधिक सीटों पर प्रभाव डाल रहा था. 2014 में, भाजपा और INLD के बीच 37 सीटों पर, कांग्रेस और भाजपा के बीच 18 सीटों पर, और कांग्रेस और INLD के बीच 12 सीटों पर मुकाबला हुआ. 2019 में, कांग्रेस और भाजपा के बीच 51 सीटों पर मुख्य मुकाबला हुआ था, और भाजपा और जननायक जनता पार्टी (JJP) 16 अन्य सीटों पर प्रमुख दावेदार थे.

2009 में, 55 सीटों पर जीत का अंतर 10% या उससे कम था. यह 2019 में घटकर 47 सीटों पर आ गया, जो फिर भी विधानसभा की आधी से अधिक सीटों का प्रतिनिधित्व करता है. 25 सीटों पर जीत का अंतर 5,000 वोटों से भी कम था. आम चुनावों में 10 लोकसभा सीटों में से छह पर बहुत करीबी मुकाबले देखे गए, जिनमें जीत का अंतर 2% से 6% के बीच था.

जाट-दलित वोटों पर INLD-BSP की नजर

हरियाणा के चुनावों में ‘अन्य’, जिनमें छोटे दल और निर्दलीय उम्मीदवार शामिल हैं, महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आए हैं. 2009 में उन्होंने 30% वोट शेयर के साथ 15 सीटें जीतीं, जबकि 2019 में यह घटकर 18% वोट और 8 सीटें रह गई. फिर भी, इनका प्रभाव विधानसभा की लगभग 50% सीटों पर बना रहा. इंडियन नेशनल लोक दल-बहुजन समाज पार्टी (INLD-BSP) गठबंधन जाट समुदाय की नाराज़गी को भुनाने और दलित समुदाय के एक हिस्से को अपने पक्ष में लाने की उम्मीद कर रहा है. वहीं, JJP को 2019 में मिली 10 सीटों और 15% वोट शेयर को बनाए रखने में संघर्ष करना पड़ रहा है, क्योंकि जाट समुदाय पार्टी के भाजपा के साथ गठबंधन से नाराज़ हैं.

आम आदमी पार्टी भी राज्य की राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रही है. दिल्ली मॉडल के आधार पर AAP कुछ सीटों पर जीत की उम्मीद कर रही है. भाजपा और कांग्रेस दोनों को अपने भीतर से विद्रोही उम्मीदवारों का सामना करना पड़ रहा है, जो लगभग 20 सीटों पर समीकरण बिगाड़ सकते हैं.

हरियाणा में त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति

भाजपा को उम्मीद है कि ‘अन्य’ के साथ INLD-BSP/JJP-ASP गठबंधन विपक्षी वोटों को विभाजित करेगा और कांग्रेस की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाएगा. वहीं, कांग्रेस मानती है कि इस बार मुकाबला सीधा भाजपा से है, और ‘अन्य’ उसकी संभावनाओं पर असर नहीं डाल पाएंगे. दूसरी ओर, ‘अन्य’ त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति का इंतजार कर रहे हैं, जैसे 2009 और 2019 में हुआ था.

ज़रूर पढ़ें