Chhattisgarh: बस्तर दशहरा में शामिल होने माई दंतेश्वरी की डोली और छत्र हुई रवाना
Chhattisgarh News: ऐतिहासिक बस्तर दशहरा में शामिल होने के लिए माँ दंतेश्वरी की डोली और छत्र जगदलपुर के लिए रवाना हुई. पुलिस जवानों ने माँ दंतेश्वरी की डोली को सलामी दी. इस बीच काफी बड़ी संख्या में लोग दंतेश्वरी माता के डोली और छत्र के दर्शन के लिए पहुंचे. नगर में जहा जहा माँ दंतेश्वरी की डोली और छत्र पहुची वहां वहां लोगो ने पूरे नगर और रोड को रंगोली और फूलों से सजाया दिया था. प्रति वर्ष बस्तर राज परिवार के तरफ से नवरात्रि के पंचमी तिथि को दंतेवाड़ा पहुचकर माँ दंतेश्वरी को बस्तर दशहरा में शामिल होने का निमंत्रण देते हैं जिसके बाद महाअष्टमी के दिन माई दंतेश्वरी की डोली को मंदिर के पुजारी जिया बाबा लेकर बस्तर दशहरा के लिए रवाना होते है, लेकिन इस बार माँ की डोली नवमी को रवाना हुई. मंदिर के पुजारी विजेन्द्र नाथ जिया ने बताया एक ही तिथि दो दिन होने के कारण नवमी को माई की डोली रवाना हुई है. इस बार दशहरा भी 76 दिन का होगा. पहले यह 75 दिनों का होता था.
जानिए क्यों खास है बस्तर दशहरा
यह अनूठा दशहरा छत्तीसगढ़ के आदिवासी इलाके बस्तर में मनाया जाता है. इसे ‘बस्तर का दशहरा’ भी कहा जाता है, जिसकी चर्चा देश-दुनिया में होती है. इस समारोह में शामिल होने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों के साथ-साथ विदेशों से भी सैलानी आते हैं. बस्तर के दशहरे में राम-रावण युद्ध नहीं, बल्कि बस्तर की दंतेश्वरी माता के प्रति अपार श्रद्धा दिखाई देती है.
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बस्तर दशहरे की शुरुआत श्रावण के महीने में पड़ने वाली हरियाली अमावस्या से होती है. इस दिन रथ बनाने के लिए जंगल से पहली लकड़ी लाई जाती है. इस रस्म को पाट जात्रा कहा जाता है. यह त्योहार दशहरा के बाद तक चलता है और मुरिया दरबार की रस्म के साथ समाप्त होता है. इस रस्म में बस्तर के महाराज दरबार लगाकार जनता की समस्याएं सुनते हैं. यह त्योहार देश का सबसे ज्यादा दिनों तक मनाया जाने वाला त्योहार है. दशहरे का वैभव ही कुछ ऐसा है कि सबको आकर्षित करता है. असत्य पर सत्य के विजय के प्रतीक, महापर्व दशहरे को पूरे देश में राम का रावण से युद्ध में विजय के रूप में विजयादशमी के दिन मनाया जाता है. लेकिन बस्तर दशहरा देश का ही नहीं, बल्की पूरे विश्व का अनूठा महापर्व है, जो असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है, मगर बस्तर दशहरा में रावण नहीं मारा जाता बस्तर की आराध्य देवी को पूजा की जाती है.