Chhattisgarh में है कुतुब मीनार से भी ऊंचा एशिया का सबसे बड़ा ‘जैतखाम’, धार्मिक मान्यता जानकर हो जाएंगे हैरान
Chhattisgarh: पूरा देश आज 18 दिसंबर को गुरु घासीदास की 268वीं जयंती मना रहा है. गुरु घासीदास सतनामी समाज के संस्थापक हैं. सतनामी समाज के लोगों की आस्था जैतखाम से जुड़ी हुई है. जैतखाम कुतुब मीनार से भी ऊंचा हैं. यह सिर्फ देश नहीं बल्कि विदेश में भी लोकप्रिय है.
क्या है जैतखाम?
जैतखाम एक छत्तीसगढ़ी शब्द है, जो जैत और खाम से मिलकर बना है. जैत का अर्थ जय और खाम का अर्थ खम्भा होता है. जैतखाम सतनामी समाज की आस्था का प्रतीक है. जहां- जहां सतनामी समाज के लोग रहते हैं, वहां एक विशेष स्थान को देखकर जैतखाम बनाते हैं. इसके ऊपर सफेद रंग की ध्वजा फहराई जाती है. यह सतनामियों के लिए विजय का प्रतीक है.
छत्तीसगढ़ में है एशिया का सबसे बड़ा जैतखाम
छत्तीसगढ़ के बलोदाबाजार जिले में एशिया का सबसे बड़ा जैतखाम मौजूद है. यह राजधानी रायपुर से 140 KM दूर बलौदाबाजार जिले के गिरौधपुरी में स्थित है. यह जगह गुरु घासीदास की जनस्थली है. गिरौधपुरी में हर साल लाखों की संख्या में सैलानी पहुंचते हैं. जैतखाम टावर पर चढ़ने के बाद यहां आने वाले पर्यटकों को करीब 8 KM का खूबसूरत एरिया आसानी से नजर आता है.
कुतुब मीनार से भी ऊंचा है ये जैतखाम
गिरौधपुरी स्थित जैतखाम दिल्ली में मौजूद कुतुब मीनार से भी ऊंचा है. कुतुब मीनार की ऊंचाई 72.5 मीटर है, जबकि जैतखाम की ऊंचाई 77 मीटर है. इसके अलावा जिस तरह ताजमहल के साथ खुद की तस्वीर लेने के ताजमहल से आधे किलोमिटर दूर जाना पड़ता है उसी तरह जैतखाम के साथ तस्वीर लेने के लिए काफी दूर जाना पड़ता है.
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बेहद खास है इसकी बनावट
जैतखाम की बनावत बहुत ही खास है.
- इसके छत पर जाने के लिए दो तरफ से दरवाजे बनाए गए हैं.
- इसमें चढ़ने के लिए लोगों को 435 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं.
- छत के दोनों तरफ 435 – 435 सीढ़ियां बनाई गई हैं. इन दोनों सीढ़ियों की विशेष बात यह है कि ये दोनों सीढियां अलग-अलग है. लेकिन सीढ़ियों से अलग अलग होने के बावजूद दोनों एक दूसरे के ऊपर दिखाई देते हैं.