Space का सुपर पावर ISRO: SpaDeX सैटेलाइट्स की सफल डॉकिंग पूरी; अमेरिका, रूस और चीन के बाद ऐसा करने वाला भारत चौथा राष्ट्र

ISRO: अगर देश के भीतर या बाहर कोई भारत को थर्ड-वर्ल्ड कंट्री कहकर मज़ाक़ उड़ाए तो उसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की ऐतिहासिक कामयाबियों की फ़ेहरिस्त ज़रूर गिना दीजिए. कामयाबियों की फ़ेहरिस्त फेविक्विक से भी ज़्यादा कारगर साबित होगी और सामने वाला का मुँह हमेशा के लिए बंद हो जाएगा. फिर ‘आप सीधी बात […]
ISRO

SpaDeX सैटेलाइट्स की डॉकिन्ग (ISRO)

ISRO: अगर देश के भीतर या बाहर कोई भारत को थर्ड-वर्ल्ड कंट्री कहकर मज़ाक़ उड़ाए तो उसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की ऐतिहासिक कामयाबियों की फ़ेहरिस्त ज़रूर गिना दीजिए. कामयाबियों की फ़ेहरिस्त फेविक्विक से भी ज़्यादा कारगर साबित होगी और सामने वाला का मुँह हमेशा के लिए बंद हो जाएगा. फिर ‘आप सीधी बात नो बकवास’ वाले अंदाज में डायलॉग मारकर चलते बनिए. लेकिन, इसके लिए ज़रूरी है कि आप ISRO की ताज़ा कामयाबी को जानिए, बल्कि आसान भाषा में समझ भी लीजिए. फिर आपके दिल में देश भक्ति का जो ताव जगेगा वह ताउम्र बना रहेगा.

दरअसल, मिशन मंगलयान और चंद्रायन के अलावा तमाम सैटेलाइट भेजकर रिकॉर्ड बनाने वाले हमारे देश की स्पेस एजेंसी ISRO ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है. गुरुवार को SpaDeX सैटेलाइट्स की डॉकिन्ग प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया.

इसरो (ISRO) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इसकी घोषणा करते हुए कहा, “स्पेसक्राफ्ट डॉकिंग सफलतापूर्वक पूरी हुई! यह एक ऐतिहासिक क्षण है.” भारतीय स्पेस एजेंसी ने आगे बताया, “सटीकता के साथ 15 मीटर से 3 मीटर की दूरी तक सैटेलाइट्स को लाने के बाद डॉकिंग प्रक्रिया शुरू हुई. दोनों स्पेसक्राफ्ट को एक साथ जोड़ा गया, फिर रिट्रैक्शन और रिगिडाइजेशन (यानी, मजबूती से स्थिर करने की घटना) प्रक्रिया भी पूरी की गई. अब यह स्थिरता के साथ जुड़ चुके हैं.”

वैसे आपका दिमाग़ SpaDeX, डॉकिंग, रिट्रैक्शन जैसे टेक्निकल शब्दों से चकरा गया होगा. लेकिन, आप टेंशन न लें. क्योंकि, इन्हीं बातों को तो हम अच्छे समझाने के लिए आपके सामने यह लेख लेकर हाज़िर हुए हैं. बस आप तसल्ली से पढ़ते जाइए. गारंटी है कि पूरा ऑपरेशन आप विस्तार से समझ लेंगे.

SpaDeX मिशन: क्या है इसकी खासियत?

SpaDeX मिशन इसरो का एक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेशन है, जिसका उद्देश्य दो छोटे सैटेलाइट्स को एक-दूसरे से अंतरिक्ष में जोड़ना और अलग करना है. गुरुवार को अंतरिक्ष में भारत ने इसी काम को कर दिखाया. इसके पहले ऐसा करने में अमेरिका, रूस और चीन कामयाब रहे थे. लेकिन, अब भारतीय वैज्ञानिकों ने भी अब बाज़ी मारते हुए अपना पैर अंतरिक्ष में और मज़बूती से बढ़ा दिया है. इस जोड़ने की प्रक्रिया को ही अंग्रेज़ी में ‘डॉकिंग’ नाम दिया गया है.

डॉकिन्ग प्रक्रिया को ऐसे समझा जा सकता है जैसे दो चलती हुई ट्रेनें प्लेटफॉर्म पर एकदम सटीक तरीके से जुड़ जाएं। पहले दोनों ट्रेनें एक-दूसरे के करीब आती हैं, फिर सावधानी से जोड़कर स्थिर कर दी जाती हैं. अब भारतीय स्पेस एजेंसी इसका इस्तेमाल आगे की और बड़े स्पेश मिशन में करेगी.

कैसे हुआ यह संभव?

इसरो ने 30 दिसंबर को PSLV रॉकेट से दो छोटे सैटेलाइट्स, SDX01 (चेसर) और SDX02 (टार्गेट) को पृथ्वी की निम्न कक्षा (Low Earth Orbit) में लॉन्च किया. इन दोनों सैटेलाइट्स को शुरुआत में 20 किलोमीटर की दूरी पर रखा गया था. फिर, क्रमिक रूप से यह दूरी घटाते हुए 15 मीटर और 3 मीटर तक लाया गया. इसके बाद सटीकता से डॉकिंग प्रक्रिया को अंजाम दिया गया.

डॉकिन्ग क्यों है जरूरी?

जैसा कि ऊपर के पैराग्राफ़ में आपको पता चला की डॉकिंग क्या है. लेकिन, अब यह भी विस्तार से जान लीजिए कि डॉकिंग इतना ज़रूरी क्यों है. दरअसल, SpaDeX मिशन भविष्य के कई बड़े अंतरिक्ष अभियानों के लिए नींव रखता है. जिनमें चंद्रयान-4 मिशन, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और अंतरिक्ष में मावन मिशन में यह काफ़ी उपयोगी साबित होने वाला है.

  1. चंद्रयान-4 मिशन: इस मिशन में चांद से सैंपल लाने के लिए दो मॉड्यूल्स को पृथ्वी के नजदीक और चंद्र कक्षा में डॉकिंग करनी होगी. एक मॉड्यूल चंद्रमा पर सैंपल इकट्ठा करेगा. दूसरा मॉड्यूल सैंपल को पृथ्वी पर वापस लाएगा.
  2. भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन: भारत 2028 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की योजना पर काम कर रहा है. इस स्टेशन के 5 मॉड्यूल्स को अलग-अलग लॉन्च कर अंतरिक्ष में जोड़ने की जरूरत होगी. इसमें भी यह काफ़ी सहायक होगा.
  3. मानव मिशन: भारत का मानव मिशन 2040 तक चांद पर भेजने की योजना है, जिसमें डॉकिंग तकनीक अहम भूमिका निभाएगी.

अंतरिक्ष में भारत सुपर- पावर

अंतरिक्ष में भारत का डंका पहले से ही बज रहा है. बेहद ही कम खर्चे में स्पेस में कई अभियानों को अंजाम देने के बाद दुनिया के तमाम देश ISRO का लोहा मानने लगे हैं. एक साथ बंच में कई सारे सैटेलाइट्स लॉन्च करने का रिकॉर्ड्स भी भारतीय स्पेस एजेंसी ISRO के पास ही है. बहरहाल, SpaDeX मिशन के तहत डॉकिंग की प्रक्रिया 7 जनवरी को होनी थी, लेकिन तकनीकी कारणों से इसे 9 जनवरी तक टाल दिया गया. इसके बावजूद, ISRO ने सटीकता और सतर्कता के साथ हर समस्या का समाधान कर इस मिशन को सफल बनाया. SpaDeX मिशन भारत की अंतरिक्ष तकनीक को नई ऊंचाइयों पर ले गया है. यह मिशन न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत के अंतरिक्ष अभियानों को वैश्विक स्तर पर टॉप क्लास बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.

ज़रूर पढ़ें