Chhattisgarh News: जग्गी हत्याकांड केस में याह्या ढेबर सहित सभी आरोपियों का रायपुर कोर्ट में सरेंडर, SC ने दी थी मोहलत

Chhattisgarh News: सुप्रीम कोर्ट ने केस के आरोपियों में आरसी त्रिवेदी, वीके पांडे, अमरीक सिंह गिल, सूर्यकांत तिवारी और याह्या ढेबर को सरेंडर करने के लिए तीन हफ्ते अतिरिक्त समय दिया था. वहीं दो शूटरों में शूटर विनोद सिंह राठौर और चिमन सिंह ने 15 अप्रैल को विशेष न्यायाधीश की कोर्ट में सरेंडर कर दिया था. बता दें कि जग्गी हत्याकांड छत्तीसगढ़ की पहली राजनीतिक हत्या थी.
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सुप्रीम कोर्ट(फाइल फोटो)

Chhattisgarh News: राजधानी रायपुर में हुए राम अवतार जग्गी हत्याकांड प्रदेश की बहुचर्चित और राजनीतिक हत्याकांड का सबसे बड़ा केस है. इस मामले में याह्या ढेबर सहित सभी दोषियों ने रायपुर कोर्ट में सरेंडर कर दिया है. सुबह सबसे पहले याह्या ढेबर ने कोर्ट में सरेंडर किया फिर इसके बाद दोपहर में  4 अन्य दोषियों ने भी  सरेंडर कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने केस के आरोपियों में आरसी त्रिवेदी, वीके पांडे, अमरीक सिंह गिल, सूर्यकांत तिवारी और याह्या ढेबर को सरेंडर करने के लिए तीन हफ्ते अतिरिक्त समय दिया था. वहीं दो शूटरों में शूटर विनोद सिंह राठौर और चिमन सिंह ने 15 अप्रैल को विशेष न्यायाधीश की कोर्ट में सरेंडर कर दिया था. बता दें कि जग्गी हत्याकांड छत्तीसगढ़ की पहली राजनीतिक हत्या थी.

क्या है जग्गी हत्याकांड?

4 जून 2003 को मॉर्निंग वॉक पर निकले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष राम अवतार जाग्गी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसके परिजनों ने रायपुर के मौदहापारा थाना में केस दर्ज कराया था. सतीश जग्गी ने अपने पिता की हत्या करवाने का आरोप लगाते हुए अजीत जोगी और अमित जोगी के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराया था. आरोप लगा कि पुलिस ने पूरे मामले में लीपापोती करते हुए फर्जी आरोपियों को जेल में डाला दिया.

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सीबीआई ने अमित जोगी को बनाया मुख्य आरोपी

दिसंबर 2004 में इस केस को सीबीआई को सौंपा गया. इसके बाद सीबीआई ने अमित जोगी को मुख्य आरोपी बनाते हुए लगभग 30 आरोपियों को इस हत्याकांड में शामिल होना पाया. इसमें दो आरोपी महंत उर्फ बुलठू पाठक और सुरेश सिंह सीबीआई के सरकारी गवाह बन गए. इसके बाद सीबीआई ने अमित जोगी सहित 30 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया था. 31 मई 2007 को रायपुर स्थित विशेष न्यायाधीश की कोर्ट ने अमित जोगी सहित 5 लोगों को दोष मुक्त ठहराते हुए 19 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. पुलिस अधिकारियों को भी पांच-पांच साल की सजा सुनाई थी.

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