Chhattisgarh: बिलासपुर के कंपोजिट बिल्डिंग की हालत खराब, असुविधाओं से अधिकारी-कर्मचारी परेशान

Chhattisgarh News: कंपोजिट बिल्डिंग के हर डिपार्टमेंट में अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत है. इनकी संख्या 100 से अधिक है सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें दिव्यांग कर्मचारी भी है. लिफ्ट बंद होने की स्थिति में उन्हें सीढ़ी से आना जाना पड़ता और इसके कारण ही चढ़ने उतरने में उन्हें काफी तकलीफ होती है.
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कम्पोजिट बिल्डिंग

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े सरकारी दफ्तर यानी कंपोजिट बिल्डिंग की हालत बेकार है. कुछ साल पहले ढाई से 3 करोड़ रुपए की लागत से बनी यह बिल्डिंग धीरे-धीरे खराब होती जा रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि यहां लिफ्ट पिछले एक सप्ताह से बंद पड़ी है. भीषण गर्मी में पानी की व्यवस्था को लेकर इंतजाम फेल है. इसके अलावा बिजली को लेकर भी आए दिन समस्याएं हो रही है. लगभग 35 सरकारी दफ्तरों को खुद में समेटे इस विभाग के न सिर्फ अधिकारी कर्मचारी परेशान है बल्कि यहां रोजाना 500 से अधिक लोगों का आवागमन होता है. किसी को श्रम विभाग किसी को खाद्य मौजूद प्रशासन विभाग किसी को पंजीयन के लिए तो किसी को लोक सेवा केंद्र में पहुंचकर समस्या झेलनी पड़ रही है.

टाउन एंड कंट्री प्लैनिंग डिपार्मेंट और जिला योजना सांख्यिकी विभाग भी यही है. कुल मिलाकर लोग यहां पहुंचकर जब लिफ्ट की सुविधा नहीं मिलती तब दूसरे और तीसरे माले पर हांफते हुए चढ़ते हैं, और इसी स्थिति में उतरते हैं और सबसे बड़ी बात यह है, कि नीचे उतरने पर उन्हें ठंडा पानी भी नहीं मिल पाता है. भीषण गर्मी में जिस तरह के हालात यहां पैदा हो रहे हैं, उसको लेकर सरकारी व्यवस्थाओं की कार्य प्रणाली पर सवाल उठ रहा है.

दिव्यांग कर्मचारी ने कलेक्टर को की है शिकायत

कंपोजिट बिल्डिंग के हर डिपार्टमेंट में अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत है. इनकी संख्या 100 से अधिक है सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें दिव्यांग कर्मचारी भी है. लिफ्ट बंद होने की स्थिति में उन्हें सीढ़ी से आना जाना पड़ता और इसके कारण ही चढ़ने उतरने में उन्हें काफी तकलीफ होती है. उन्होंने अपनी समस्या कलेक्टर को बताई है लेकिन फिलहाल तक निराकरण नहीं हो पाया है.

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जब से बनी है कंपोजिट बिल्डिंग तब से समस्या

कंपोजिट बिल्डिंग का निर्माण 8 साल पहले किया गया था. कोरबा में एक बड़े ठेकेदार में इसे बनाया लेकिन यह उतना मजबूत नहीं बन पाया जितना की सरकार चाहती थी. यही कारण है कि यहां समस्याओं का अंबार है और सुनने वाला कोई नहीं. हर साल मेंटेनेंस के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन दिक्कतें दूर नहीं होती है यही वजह है कि लोग लगातार अपनी पीड़ा अधिकारियों के सामने रख रहे हैं.

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