2014 से लेकर अब तक सफाई के लिए सीवर में उतरे 453 लोगों की हुई मौत, केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया
Deaths While Cleaning Sewers: साल 2014 से लेकर अब तक सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करने के दौरान 453 लोगों की मौत हो गई है. केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने मंगलवार को संसद में इसकी जानकारी दी है. मंत्रालय ने आगे आगे बताया कि भारत के 766 जिलों में से 732 ने खुद को हाथ से मैला ढोने से मुक्त घोषित कर दिया है. समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने मंगलवार को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में राज्यों की उपलब्धियों की जानकारी साझा की है.
केंद्रीय मंत्री ने जानकारी देते हुए कहा कि 31 जुलाई 2024 तक, देश के 766 जिलों में से 732 जिलों ने खुद को हाथ से मैला ढोने से मुक्त घोषित कर दिया है. राज्यों ने मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार के निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 के ढांचे के तहत “मैनुअल स्कैवेंजिंग मुक्त” घोषित किया है.
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मैनुअल स्कैवेंजर्स को लेकर सख्त कानून
इस अधिनियम के अनुसार, कोई भी व्यक्ति या एजेंसी किसी भी व्यक्ति को मैला ढोने के काम में नहीं लगा सकती है और न ही नियोजित कर सकती है और जो भी व्यक्ति या एजेंसी मैला ढोने का काम करती है, उसे 2 साल तक की कैद या एक लाख रुपये तक का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है. यह अधिनियम सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा और गरिमा सुनिश्चित करने के लिए खतरनाक सफाई और हाथ से मैला ढोने की प्रथा को विशिष्ट शब्दों में परिभाषित करता है.
2014 से अब तक 453 लोगों की हुई मौत
हालांकि, एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए, अठावले ने कहा कि 2014 से सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 453 लोगों की जान चली गई. अठावले ने कहा कि सरकार ने मैला ढोने की प्रथा के उन्मूलन के लिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत 371 करोड़ मंजूर किए हैं. इन फंड का इस्तेमाल उन्नत मशीनरी प्राप्त करने और छोटे गांवों में उनके मशीनीकरण में सुधार करने, स्वच्छता कार्यों के लिए मैन्युअल श्रम पर निर्भरता को कम करने और सुरक्षित कार्य स्थितियों को सुनिश्चित करने के लिए किया जाएगा.
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि राज्यों ने 5,000 से अधिक मानक सेप्टिक टैंक वाहनों, 1100 हाइड्रोवैक मशीनों और एक हजार डिसिल्टिंग मशीनों तक पहुंच में सुधार करते हुए अपनी मशीनीकरण क्षमताओं में सुधार करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है. श्रमिकों को सुरक्षा गियर प्रदान करने, आपातकालीन जल निकासी के लिए हेल्पलाइन सुविधाएं स्थापित करने और इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने के लिए गतिविधियां आयोजित करने के लिए सलाह भी जारी की गई है.