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भारत में यह प्रथा नहीं कि बेटा पत्नी के कहने पर माता-पिता को छोड़ दे – हाई कोर्ट

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बिलासपुर हाई कोर्ट

CG News: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने तलाक को लेकर दायर पति की याचिका पर सुनवाई करते हुए भारतीय संस्कृति के महत्व और माता-पिता के प्रति बेटों के कर्तव्य का हवाला दिया है. जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस एनके व्यास की डिवीजन बेंच ने आदेश में कहा भारत में यह प्रथा नहीं है, कि बेटा पत्नी के कहने पर अपने माता-पिता को छोड़ दे। कोर्ट ने इसके साथ ही पति की याचिका मंजूर कर तलाक की अनुमति दी है.

माता-पिता को छोड़ने के मामले में हाई कोर्ट ने सुनाया फैसला

बेमेतरा जिला निवासी प्रशांत झा ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर तलाक की अनुमति मांगी थी. याचिकाकर्ता ने पत्नी द्वारा माता-पिता से अलग रहने लगातार दबाव बनाने की शिकायत की थी. मामले की सुनवाई जस्टिस रजनी दुबे व जस्टिस एनके व्यास के डिवीजन बेंच में हुई. मामले की सुनवाई के बाद डीबी ने विस्तृत फैसला फैसले में माता-पिता के प्रति बेटे की जिम्मेदारी के “सांस्कृतिक महत्व” पर जोर देते हुए कहा कि, भारत में यह प्रथा नहीं है कि बेटा अपनी पत्नी के कहने पर अपने माता-पिता को छोड़ दें.

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प्रशांत और ईशा की शादी जून 2017 में हुई थी. शादी के तुरंत बाद पत्नी ने ग्रामीण जीवन से असहजता और अपना करियर बनाने की इच्छा का हवाला देते हुए पति को परिवार से अलग रहने पर जोर देना शुरू कर दिया।

ट्रायल कोर्ट ने खारिज किया था आवेदन

पत्नी के व्यवहार को लेकर याचिकाकर्ता पति ने ट्रायल कोर्ट में मामला दायर किया था. सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट ने आवेदनकर्ता पति द्वारा पत्नी की मानसिक क्रूरता के आधार पर पेश तलाक आवेदन खारिज कर दिया था. इस फैसले को चुनौती देते हुए प्रशांत ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. हाई कोर्ट ने याचिका को मंजूर किया है.

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